Tuesday, 31 December 2013

बिजनेस पार्टनर के हत्यारोपी को सश्रम उम्र कैद की सजा


मंडी। बिजनेस पार्टनर की बेसबाल बैट से आघात करके हत्या करने के आरोपी को अदालत ने सश्रम उम्र कैद की सजा का फैसला सुनाया। हत्या के बाद सबूतों को नष्ट करने का अभियोग भी साबित होने पर अदालत ने आरोपी और सहआरोपी को क्रमश: सात और पांच साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई। अतिरिक्त सत्र न्यायधीश पी पी रांटा के न्यायलय ने हरियाणा के जिंद जिला के दिलूवाला (अलेवा) निवासी मंजीत सिंह पुत्र रामफल के खिलाफ भादंस की धारा 302 और 201 के तहत हत्या करने व सबूत नष्ट करने का अभियोग साबित होने पर सश्रम उम्र कैद और सात साल की कारावास और पांच-2 हजार रूपये जुर्माने की सजा सुनाई। ये दोनों सजाएं एक साथ चलेंगी। जबकि सहआरोपी जिला कैथल के पटटी अफगान गांव निवासी धर्मेन्द्र संधु पुत्र जगमेल के खिलाफ सबूत नष्ट करने का अभियोग साबित होने पर पांच साल कारावास और पांच हजार रूपये जुर्माने की सजा सुनाई। अभियोजन पक्ष के अनुसार विक्रम सिंह और उक्त आरोपी प्रौपर्टी डीलर के बिजनेस में पार्टनर थे। यह लोगों ने हिमाचल में भी अपना कारोबार कर रहे थे। विगत 4 नवंबर 2011 को उक्त दिनों लोग लापता हो गए और उनके मोबाईल फोन भी बंद हो गए। परिजनों ने उनकी गुमशुदगी की रपट दर्ज की थी। इसके बाद मृतक विक्रम सिंह का शव पंडोह डैम में बरामद हुआ था। मृतक के भाई साजन कुमार ने उनके शव की शिनाखत की थी। सदर थाना पुलिस ने मृतक के शरीर पर आई चोटों के आधार पर हत्या का मामला दर्ज करके आरोपियों को हिरासत में लिया था। आरोपियों ने अपनी दरयाफत में बताया था कि वह 4 नवंबर को सोलन से सैंट्रो कार पर कुल्लू की ओर जा रहे थे। मंडी से कुछ दूरी पर ही आरोपी मंजीत और विक्रम का आपस में झगडा शुरू हो गया। इसके बाद उन्होने कार को खोती नाला के पास रोका। जहां पर झगडे के दौरान आरोपी मंजीत ने बेसबाल के बैट से विक्रम के सिर पर आधात करके उसकी हत्या कर दी थी। इसके बाद दोनों आरोपियों ने शव को दवाडा के पास व्यास नदी में फेंक दिया था। अभियोजन पक्ष की ओर से पैरवी करते हुए लोक अभियोजक आत्मा राम और अधिवक्ता आर के शर्मा ने 28 गवाहों के ब्यान कलमबंद करवा कर मामले को साबित किया। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष की ओर से प्रस्तुत साक्ष्यों से आरोपियों पर संदेह की छाया से दूर अभियोग साबित हुआ है। ऐसे में अदालत ने आरोपियों को उक्त कारावास और जुर्माने की सजा का फैसला सुनाया।

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