Sunday, 22 December 2013

हियुंआ रियां धारा ते लैणियां गवाहियां....



हियुंआ रियां धारा ते लैणियां गवाहियां,

हो कुने-2 खाधिरियां लोका री कमाइयां,

काम बी ता करदया रे हाड बी ता टुटी गए,

तुजो बी ता अन्न दाता खाणे री मनाहियां,

रोडुए हिसाब कितया च्वानिया रा ब्याज दितया

फेरी बी इन्हा साहां रीया कुडकियां आइयां,

हो छाही रे संदेसे दुधा री ता गल क्या,

फटीरे खंदोहलु हो लेहफा री ता गल क्या,

रूलदिया डुलदिया चुडदियां टापरियां,

उपराले जीणे री बेदखलियां आईयां,

खेतरा च खडा हुई के बझिया जे बोलदा,

मेरीया तो डोरिया ओ हल देखयां जोडदा,

नांगियां तलवारा लेइ कर फिरदा,

मुंडखर खेता बिच मुंडिया रूलाईयां,

कर्मा जो छाडी करी धर्मा जो छाडी करी,

इन्हा जालमाने लोका रियां कुडियां बिकाइयां,

हियुंआ रियां धारा ले लैणियां गवाहियां....

किसानों को ज़मीनों का हक दिलवाने के लिए हिमाचल प्रदेश में हुए मुजारा आंदोलन के दौरान कामरेड शमशेर के लिखे हुए इस गीत से क्रांतीकारी हमेशा प्रेरणा लेते रहे हैं...समीर कश्यप

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