Wednesday 3 September 2014

ढाई हजार न्यायिक कर्मियों को बडी राहत


मंडी। हिमाचल प्रदेश सरकार ने उच्चतम न्यायलय में लंबित न्यायिक कर्मचारियों की वेतन वृधि से संबंधित अपील को वापिस ले लिया है। जिससे प्रदेश भर के हजारों कर्मचारियों को वेतन बढौतरी मिलने की उममीद बंधी है। हिमाचल प्रदेश न्यायिक कर्मचारी संघ के प्रदेश संगठन मंत्री और जिला महासचिव भगवान दास ने सरकार के अपील को वापिस लेने के फैसले का स्वागत किया है। उन्होने बताया कि यह अपील उच्चतम न्यायलय के न्यायमुर्ति जे एस खेहाड की अगुवाई वाली बेंच के समक्ष विचाराधीन थी। जिसमें प्रदेश सरकार ने उच्च न्यायलय के अराजपत्रित न्यायिक कर्मचारियों को वेतन बढौतरी देने के फैसले को चुनौती दी थी। उच्चतम न्यायलय के बेंच ने इस मामले में सपष्ट किया कि शेट्टी कमीशन की वर्ष 2003 के प्रस्तावों के तहत अन्य सभी राज्यों में वेतन वृधि को लागू कर दिया गया है। ऐसे में किसी आधार पर वेतन वृधि अदा करनेे से छूट नहीं दी जा सकती। न्यायलय ने कहा है कि ज्यादा से ज्यादा प्रदेश सरकार को बकाया भुगतान किस्तों में अदा करने की अनुमति दी जा सकती है। प्रदेश सरकार की ओर से उच्चतम न्यायलय में राज्य की वितिय हालत ठीक नहीं होने की दलील दी गई थी। सरकार की ओर से कहा गया था कि न्यायिक कर्मचारियों को वेतन वृधि देने से सालाना एक करोड रूपये का अतिरिक्त बोझ वहन करना पडेगा। उच्चतम न्यायलय की बेंच ने माना कि अगर हिमाचल प्रदेश को छूट दी जाती है तो कमीशन के इन प्रस्तावों को लागू करने में दूसरे राज्य भी अपनी वितिय कठिनाइयों को लेकर यह छूट मांग सकते हैं। न्यायलय ने यह भी सपष्ट किया कि यह नहीं माना जा सकता कि राज्य की वितिय हालत इतनी खराब है कि वह सालाना एक करोड रूपये का अतिरिक्त बोझ नहीं वहन कर सकती। प्रदेश उच्च न्यायलय ने 3 जनवरी 2014 को एचपी सबओरडिनेट कोर्टस एंपलोय (पे, अलाउंसेस एंड अदर कंडिशनस आफ सर्विस )एक्ट 2005 की धारा 3 को निरस्त कर दिया था। क्योंकि यह उच्चतम न्यायलय के वेतन वृधि से संबंधित फैसले से ओवररूल हो चुकी थी। उच्च न्यायलय ने प्रदेश सरकार को अप्रैल 2003 से वेतन वृधि को लागू करने के निर्देश दिये थे। जिसके चलते प्रदेश सरकार ने उच्चतम न्यायलय में यह अपील दायर की थी।

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