मंडी। अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि उत्सव के आयोजन में सरकार दोहरे मापदंड अपना रही है। एक तरफ तो देवताओं को मिलने वाले नजराने में पिछले दो साल से लगातार 25 फीसदी की बढोतरी की जा रही है, वहीं दूसरी और देवताओं के वाद्य यंत्र बजाने वाले लोक वाद्यकों के नजराने में कोई बढ़ोतरी नहीं की जा रही है। मंगलवार को पीडब्ल्यूडी मंत्री गुलाब सिंह ठाकुर की अध्यक्षता में हुई शिवरात्रि मेला कमेटी की बैठक में मीडिया की ओर से आयोजकों को यह आईना दिखाई गया। प्रैस क्लब के महासचिव समीर कश्यप ने इस मेले के बहाने देव स़ंस्कृति और लोक संस्कृति की अनूठी परम्परा के संरक्षण के लिए लिखित में कमेटी को सुझाव दिए। उन्होंने बताया कि अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि मेले का मुख्य आकर्षण देवता, देवलू और बजंतरी हैं। वे मेले की आर्थिकी का आधार भी हैं। कुछ सालों से देवताओं के आदर सम्मान में कमी हो रही है। लोक संस्कृति के संरक्षण के लिए पड्डल मैदान में शुरू किये गया बजंतरी उत्सव को भी पर्याप्त अधिमान नहीं दिया जा रहा है। उन्होने कहा कि इस बार शिवरात्रि मेला सर्द ऋतु में आ रहा है, इसलिए देवताओं के साथ आने वाले देवलुओं व बजंतरियों के रहने के रहने के उचित प्रबंध किए जाएं, उन्हें दरियां व गर्म बिछौने उपलब्ध करवाए जाएं तथा उनके ठहराव के लिए विभिन्न परिसरों में कुल्लू दशहरा की तर्ज पर टैंट लगाए जाएं। जहां देवता और देवताओं के साथ आए हुए देवलुओं को ठहराया जाए वहां आग के अलाव के लिए जलाने की लडक़ी उपलब्ध करवाई जाए। उत्सव में कुछ ऐसे गैर पंजीकृत देवता भी कई सालों से माधेराय की के दरबार में हाजरी भरते हैं, उन्हें भी मेहमान समझ कर पूरा आदर सत्कार कर उनके रहने खाने की समुचित व्यवस्था कर दी जानी चाहिए। प्रेस क्लब के महासचिव ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि पर निकलने वाली झांकियां (जलेब) नीरस होती जा रही हैं। जेलब में विंटर कार्निवाल की तर्ज पर सृजनात्मक झांकियां शामिल की जाएं। मेले के दौरान होने वाले खेल आयोजन सीमित हो चुके हें। ऐसे में जबकि शिवरात्रि उत्सव मंडी जिला के लिए ग्रामीण खेल कूद प्रतियोगिताओं के लिए एक मात्र उत्सव है, ग्रामीण खेलें इस उत्सव से गायब होती जा रही हैं। उसी तरह फुटबाल, हाकी, बेडमिंटन , क्रिकेट, बॉस्केटवाल , निशानेबाजी और शतरंज की प्रतियोगिताएं भी बंद कर दी गई हैं,जिससे ग्रामीण व स्थानीय प्रतिभाओं को अपना हुनर दिखाने का अवसर प्रदान नहीं हो रहा है। उन्होने मांग उठाई कि सेरी मंच पर होने वाली सांस्कृतिक संध्याओं में लोक कलाकरों , साहित्यकर्मियों व अन्य विद्याओं में गंभीर काम करने वाले कलाकारों की अनदेखी हो रही है। बिना मूल्यांकन किए ही कलाकारों का चयन और भुगतान हो रहा है। सेरी मंच पर सांस्कृतिक संध्याओं का आयोजन चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है, वहीं सुरक्षा की दृष्टि से जिला पुलिस के लिए भी मुश्किल होता जा रहा है, ऐसे में सेरी मंच की जगह पड्डल मैदान में सांस्कृतिक संध्याओं का आयोजन किया जाए। इससे व्यापारिक मेले का कारोबार भी बढ़ेगा। मेले के लिए जल्दबाजी और हड़बडी में प्रबंधन से जहां खर्चे बढ़ जाते हैं, वहीं काम भी गुणवतापूर्वक नहीं हो पाते। ऐसे में भविष्य में समय रहते ही शिवरात्रि मेले को लेकर तैयारियां शुरू की जानी चाहिए। शहर को संवारने और बाबा भूतनाथ की सफाई का काम अंतिम क्षणों में शुरू हो रहा है। ऐसे में संदेह है कि निर्धारित समय पर यह काम पूरा होगा। शहर में बिजली और अस्थाई शौचालय की तत्काल व्यवस्था की जाए । शिवरात्रि उत्सव के दौरान पिछले दो सालों से मेला मेला कमेटी की पहल पर गांधी भवन में आयोजित किए जा रहे शास्त्रीय गायन, नृत्य और नाट्य उत्सव एवं कवि सम्मेलन एक सराहनीय कदम है । इस उत्सव को और बेहतर करने के लिए अधिक बजट का प्रावधान किया जाना चाहिए जिससे गंभीर कला के साधकों को उचित रूप से सम्मानित किया जा सके। उन्होने कहा कि इस कार्यक्रम को बेहतर करने के लिए उचित कमेटी का गठन किया जाना भी समय की जरूरत है।
No comments:
Post a Comment