Tuesday 10 January 2012

जाली विलेख बनाने के दो आरोपियों को दो-दो साल की कारावास की सजा


मंडी। षडयंत्र के तहत जालसाजी करके जाली समोचन विलेख बना कर संपति हडपने का अभियोग साबित होने पर अदालत ने दो आरोपियों को दो-2 साल के साधारण कारावास और पांच-2 हजार रूपये जुर्माने की सजा सुनाई। जबकि इस मामले में एक आरोपी अधिवक्ता के खिलाफ अभियोग साबित न होने पर उसे बरी कर दिया गया। न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी कोर्ट नंबर दो राजेश चौहान के न्यायलय ने बल्ह क्षेत्र के कटयाल गांव निवासी हरिया और सुंदरनगर के साई निवासी प्रेम सुख के खिलाफ भादंसं की धारा 471,467,419,465 और 120- बी के तहत क्रमश: दो-दो साल, छ: माह और तीन-तीन माह के साधारण कारावास और पांच-पांच हजार और तीन-तीन हजार रूपये जुर्माने की सजा सुनाई। जुर्माना राशी निश्चित समय में अदा न करने पर आरोपियों को क्रमश: छ:-छ: माह, एक माह, 15 दिन और 7 दिन की सजा भुगतनी होगी। अभियोजन पक्ष के अनुसार शिकायतकर्ता नंत राम ने शिकायत दर्ज करवाई थी कि उसकी माता बदामु आरोपी हरिया की बहन थी। बदामु के पिता की कुम्मी गांव में स्थित संपती में बदामु का भी हिस्सा था। बदामु की साल 1992 में मृत्यु हो चुकी थी। शिकायतकर्ता के अनुसार आरोपियों ने साल 2000 में षडयंत्र रच कर किसी महिला को पेश करके उसे बदामु बता कर अपने नाम पर समोचन विलेख रजिस्टर करवा दिया। इतना ही नहीं आरोपियों ने इस जाली विलेख को इंतकाल के लिए राजस्व अधिकारियों को पेश भी कर दिया। पुलिस ने शिकायत के आधार पर आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज करके अदालत में अभियोग चलाया था। अभियोजन पक्ष की ओर से पैरवी करते हुए सहायक लोक अभियोजक राजरानी ने 14 गवाहों के ब्यान कलमबंद करके इस मामले को साबित किया। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि आरोपियों ने जाली विलेख बनाकर अपनी सगी बहन के उतराधिकारियों को संपति से वंचित रखना चाहा ऐसे में उनके प्रति नरम रूख नहीं अपनाया जा सकता। जिसके चलते अदालत ने आरोपियों को उक्त कारावास और जुर्माने की सजा सुनाई। हालांकि इस मामले के एक आरोपी अधिवक्ता के खिलाफ अभियोग साबित न होने पर उसे बरी कर दिया गया।

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