मंडी। हिमाचल प्रदेश सरकार कर्मचारियों की हितैषी नहीं है। प्रदेश सरकार की कर्मचारी विरोधी निती के कारण कर्मियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड रहा है। मंडी जिला के उन्नाद निवासी जय चंद, डुमणु और गलमा निवासी रघु ने एक ब्यान में बताया कि प्रदेश प्रशासनिक ट्रिब्युनल ने अपने एक फैसले में लोक निर्माण विभाग और सिंचाई एवं जन स्वास्थय विभाग के प्रदेश भर के हजारों सेवानिवृत कर्मचारियों को राहत देते हुए कर्मियों को आधा समय वर्कचार्ज समय में मिलाकर पेंशन व अन्य लाभ देने के सरकार को आदेश दिये थे। प्रदेश सरकार ने इस फैसले का विरोध करते हुए उच्च न्यायलय में याचिका दायर कर दी थी। लेकिन प्रदेश उच्च न्यायलय ने भी ट्रिब्युनल का फैसला कायम रखते हुए सरकार की अपील खारिज कर दी थी। इस पर भी प्रदेश सरकार ने कर्मियों को सेवा संबंधी लाभ देने के बजाय उच्च न्यायलय की अपील उच्चतम न्यायलय में कर दी थी। जिस पर उच्चतम न्यायलय ने यह मामला पुर्ननिरिक्षण के लिए उच्च न्यायलय को वापिस भेज दिया था। लेकिन उच्च न्यायलय ने इस बारे कर्मचारियों के विरूध फैसला दिया है। जिससे कर्मचारियों को अपने सेवा संबंधी लाभ हासिल करना बेहद कठिन हो गया है। कर्मचारियों ने बताया कि कर्मी अपनी जमा पूंजी से इस मामले को अदालतों में लड रहे हैं। जबकि प्रदेश सरकार वकीलों को भारी फीसें देकर कर्मचारियों को यह लाभ न देने के लिए यह कानूनी लडाई लड रही है। कर्मियों के अनुसार मामले की पैरवी में आने वाले खर्चे को देखते हुए अब इस मामले में अदालतों की अगली लडाई लडना संभव नहीं लग रहा है। कर्मियों का कहना है कि प्रदेश के मुखयमंत्री प्रेम कुमार धुमल कितने कर्मचारी हितैषी हैं इसका खुलासा इस मामले में सरकार के कर्मियों को लाभ न देने की निती से साफ उजागर होता है।
Tuesday, 18 September 2012
प्रदेश सरकार कर्मियों को सेवा संबंधी लाभ नहीं देना चाहती
मंडी। हिमाचल प्रदेश सरकार कर्मचारियों की हितैषी नहीं है। प्रदेश सरकार की कर्मचारी विरोधी निती के कारण कर्मियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड रहा है। मंडी जिला के उन्नाद निवासी जय चंद, डुमणु और गलमा निवासी रघु ने एक ब्यान में बताया कि प्रदेश प्रशासनिक ट्रिब्युनल ने अपने एक फैसले में लोक निर्माण विभाग और सिंचाई एवं जन स्वास्थय विभाग के प्रदेश भर के हजारों सेवानिवृत कर्मचारियों को राहत देते हुए कर्मियों को आधा समय वर्कचार्ज समय में मिलाकर पेंशन व अन्य लाभ देने के सरकार को आदेश दिये थे। प्रदेश सरकार ने इस फैसले का विरोध करते हुए उच्च न्यायलय में याचिका दायर कर दी थी। लेकिन प्रदेश उच्च न्यायलय ने भी ट्रिब्युनल का फैसला कायम रखते हुए सरकार की अपील खारिज कर दी थी। इस पर भी प्रदेश सरकार ने कर्मियों को सेवा संबंधी लाभ देने के बजाय उच्च न्यायलय की अपील उच्चतम न्यायलय में कर दी थी। जिस पर उच्चतम न्यायलय ने यह मामला पुर्ननिरिक्षण के लिए उच्च न्यायलय को वापिस भेज दिया था। लेकिन उच्च न्यायलय ने इस बारे कर्मचारियों के विरूध फैसला दिया है। जिससे कर्मचारियों को अपने सेवा संबंधी लाभ हासिल करना बेहद कठिन हो गया है। कर्मचारियों ने बताया कि कर्मी अपनी जमा पूंजी से इस मामले को अदालतों में लड रहे हैं। जबकि प्रदेश सरकार वकीलों को भारी फीसें देकर कर्मचारियों को यह लाभ न देने के लिए यह कानूनी लडाई लड रही है। कर्मियों के अनुसार मामले की पैरवी में आने वाले खर्चे को देखते हुए अब इस मामले में अदालतों की अगली लडाई लडना संभव नहीं लग रहा है। कर्मियों का कहना है कि प्रदेश के मुखयमंत्री प्रेम कुमार धुमल कितने कर्मचारी हितैषी हैं इसका खुलासा इस मामले में सरकार के कर्मियों को लाभ न देने की निती से साफ उजागर होता है।
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