Sunday 18 August 2013

दोस्त



दोस्त जिंदगी में अपने को भी कुछ खास मिले
सोहबत में रह के उनकी खयालात हमारे भी खिले
माना कि उनमें हैं कुछ नामचीन भी शामिल
लिहाज से सहीं जब भी मिले दिल खोल के मिले
सही है कि दोस्त भी होते हैं अलग-2 किस्म के
टटोल कर जब भी देखा तो वह दोस्त ही निकले
कोई होता है दूर देश में तो पास ही कोई रहता है
दोस्ती के डोर से बंधे ये रिश्ते संभले ही मिले
कहते हैं दोस्त में ही छुप कर आते हैं दुश्मन भी
हर अंदाज में पर दुश्मनी के भी रंग दोस्ती के मिले
बरबाद करने के अभिशाप से लांछित होते हैं दोस्त
तो आबाद बस्तियों की ठिकाने भी दोस्तों से ही मिले

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