Monday 9 September 2013

पुराने मॉडल की कार को नयी दिखाकर बेचने पर भरने होंगे 8,60,000


मंडी। जिला उपभोक्ता फोरम ने नये माडल की जगह पुराने माडल का वाहन बेचने पर वाहन विक्रेता और वाहन निर्माता कंपनी को उपभोक्ता के पक्ष में वाहन की कीमत 7,55,000 रूपये ब्याज समेत अदा करने के आदेश दिये। इसके अलावा उपभोक्ता को पहुंची मानसिक यंत्रणा के बदले 1,00,000 रूपये तथा शिकायत व्यय के तौर पर 5000 रूपये भी अदा करने के आदेश दिये। जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष जे एन यादव और सदस्यों रमा वर्मा एवं लाल सिंह ने चच्योट तहसील के चैलचौक निवासी राकेश कुमार पुत्र हरी सिंह की शिकायत को उचित मानते हुए वाहन निर्माता भंगरोटू (नेरचौक) स्थित मैसर्ज शिमला आटोमोबाइल और निर्माता मुमबई के वरली स्थित मैसर्ज महिन्द्रा एंड महिन्द्रा को उक्त राशि की अदायगी संयुक्त रूप से 12 प्रतिशत ब्याज दर सहित अदा करने का फैसला सुनाया। उपभोक्ता को राशि प्राप्त होने के बाद 10 दिनों के भीतर वाहन को विक्रेता के सुपुर्द करना होगा। अधिवक्ता समीर कश्यप के माध्यम से फोरम में दायर शिकायत के अनुसार उपभोक्ता ने उक्त विक्रेता से महिन्द्रा जाईलो 2010 मॉडल वाहन खरीदा था। लेकिन वाहन खरीदने के एक सप्ताह में ही इसके रिवर्स गियर में खराबी आ गई। जिसके चलते उपभोक्ता ने वाहन को मुरममत के लिए विक्रेता के पास पहुंचाया। लेकिन विक्रेता ने पुरा गियर बाक्स बदलने की बजाय एक ही गियर बदला। इसके कुछ समय बाद स्टेयरिंग में खराबी आने पर विक्रेता ने स्टीयरिंग को बदल दिया। इसके अलावा भी अनेकों बार वाहन में खराबी आई और उपभोक्ता को हर बार वारंटी अवधि होने के बावजूद मुरममत करने के लिए राशि खर्च पडी। ऐसे में उपभोक्ता ने फोरम में शिकायत दायर की थी। फोरम ने अपने फैसले में कहा कि उपभोक्ता की ओर से विशेषज्ञ इंजिनियर एल आर शर्मा की रिर्पोट पेश की गई थी। जिसमें जाहिर किया गया था कि वाहन को वारंटी अवधि में ही 20 बार मुरममत करवाना पडा है। विशेषज्ञ का मानना था कि उपभोक्ता के वाहन में निर्माण से संबंधित खराबी है। इसके अलावा वाहन के इंजन सहित कई पुर्जे 2009 में निर्मित थे। वाहन के निर्माण के समय के बारे में विसंगतियां पाई गई। सूचना के आधार पर मांगी सूचना में क्षेत्रीय वाहन कार्यालय का कहना था कि वाहन 2008 का मॉडल है। ऐसे में फोरम ने विक्रेता और निर्माता द्वारा नये वाहन की कीमत वसूल करके पुराने मॉडल के वाहन को बेचने की कार्यप्रणाली को उनकी सेवाओं में कमी करार दिया। जिसके चलते फोरम ने उन्हे उपभोक्ता के वाहन की कीमत ब्याज सहित अदा करने के अलावा सेवाओं में कमी से हुई मानसिक यंत्रणा के बदले हर्जाना और शिकायत व्यय भी अदा करने का फैसला सुनाया।

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