Friday 1 November 2013

चौहट्टा में ट्रैफिक बंद करने का शहरवासियों ने विरोध किया


मंडी। चौहट्टा बाजार में शनिवार को ट्रैफिक बंद करने पर मंडी शहर वासियों ने प्रशासन के पास आपत्ती दर्ज करवाई है। शहर वासियों ने उपायुक्त मंडी को ज्ञापन प्रेषित करके शहर के लिए बाईपास बनाये जाने तक शनिवार को चौहट्टा बाजार में से ट्रैफिक बंद करने के फैसले को वापिस लेने की मांग की है। मंडी नगर वासी समीर कश्यप, लवण ठाकुर, नवीन कुमार, भारत भूषण, कमल सैनी, नरेन्द्र कुमार, मनीष कटोच, बिष्ट, प्रदीप परमार, हेम सिंह ठाकुर, जगदीश ठाकुर, अनिल कटोच, देवेन्द्र शर्मा, राणा, कुलदीप ठाकुर, बालकृष्ण और मिशन दत की अगुवाई में उपायुक्त मंडी देवेश कुमार को इस बारे में ज्ञापन सौंपा है। जिला प्रशासन ने निर्णय लिया है कि शनिवार को शाम के समय चौहट्टा बाजार ट्रैफिक के लिए बंद रखा जाएगा। पिछले कुछ सप्ताहों से इस बारे में कवायद भी की जा रही है। जिसके तहत पुलिस के माध्यम से गांधी चौक से चौहट्टा की ओर जाने वाले सभी वाहनों को रोक दिया जाता है। शहर में आने वाले वाहन जैसे ही चौहट्टा या अस्पताल मार्ग की ओर जाने के लिए इस ओर आते हैं तो यहां पर जाम लग जाता है। गांधी चौक में वाहनों के कारण लोगों का चलना फिरना दुश्वार हो जाता है। उसी तरह अस्पताल मार्ग की ओर जाने वाली सडक पर भी जाम लग जाता है और राहगीरों को भारी दिक्कतें उठानी पडती हैं। गांधी चौक पर वाहन रोक देने से लोगों को अपना वाहन गांधी चौक से मोड कर सेरी मंच की ओर ले जाना पडता है। लेकिन केसरी बंगला पार्किंग से आने वाले वाहनों के कारण भी अक्सर जाम लगा रहता है। अस्पताल मार्ग पर जाम लग जाने के कारण महामृत्युंजय चौक से सेरी बाजार को आने वाली सडक पर भी जाम लग जाता है। चौहट्टा में खडे हो कर इस निर्णय से जहां चहल कदमी करने के लिहाज से लोगों को राहत महसूस हो सकती है। लेकिन चौहट्टा बाजार से बाहर निकल कर अफरा तफरी का मंजर सामने आता है। मंडी शहर में शाम के समय बाजार में सैर करने की बहुत पुरानी संस्कृति रही है। तलावां री कुणी की सैर करने की शहरवासियों में पुरानी रवायत है। इंदिरा मार्केट के चक्कर को पुराने समय में जब यहां तालाब हुआ करता था तो स्थानिय लोग इसे तलावां री कुणी रा चक्कर कहते थे। लेकिन चौहट्टा बंद होने से यह पुरानी रवायत लुप्त होने के कगार पर पहुंच जाएगी। क्योंकि इस सैर में वाहनों के जाम लग जाने से लोगों को भारी दिक्कतें महसूस हो रही हैं। इसके अलावा शहर की बाकी जगहों के लोगों को भी इस फैसले का खामियाजा जाम लगने और ट्रैफिक बढ जाने के कारण उठाना पड रहा है। शहर वासियों का कहना है कि यह फैसला जनविरोधी है। इससे मंडी के स्थानिय लोगों को कोई सुविधा नहीं हुई है बल्कि इससे हानी ही हुई है। चौहट्टा बंद हो जाने से दोपहिया, तिपहिया, रेहडियों की बाढ साथ लगते मुहल्लों की तंग गलियों में घुस आती है। बडी सडक का बोझ इन तंग गलियों को उठाना पडता है। इन रिहायशी इलाकों में बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों को खास तौर पर भारी परेशानी उठानी पड रही है। गलियों में वाहनों की बाढ रोके जाने तक चौहट्टा बंद करने का फैसला वापिस लिया जाना चाहिए। अन्यथा तंग गलियों में बढी वाहनों की भीड आए दिन रिहायशी इलाकों में दुर्घटना का सबब बन सकती हैं। जैसा कि यह भी कहा जा रहा है कि मालरोड की तर्ज पर चौहट्टा संवरेगा। लेकिन चौहट्टे को संवारने का काम शहरवासियों की परेशानी की कीमत पर नहीं होना चाहिए। मंडी शहर का इतिहास करीब 500 वर्ष पुराना है और यहां का स्थापित्य, सडकों और गलियों की बनावट और क्षमता को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए। ये गलियां उस जमाने का वास्तुशिल्प है और यह आजकल के वाहनों की भारी भीड के लिए उचित नहीं हैं। अगर शहर में बाई पास का निर्माण हो जाए तभी शहर को वाहन मुक्त करने का विचार भलीभूत हो सकता है। चौहट्टा में वैसे भी नो पार्किंग जोन है और अगर प्रशासन चाहे तो ट्रैफिक को शाम के समय वन वे ही रखा जा सकता है जिससे सभी लोगोंं को राहत मिल सके। शहरवासियों का कहना है कि स्थानीय लोगों की परेशानियों को देखते हुए चौहट्टा को बंद करने का फैसला बाईपास बनने तक स्थगित किया जाए और तब तक चौहट्टा से शाम के समय वन वे टैफिक करके समस्या का समाधान किया जाए।

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