Monday 25 November 2013

फोरेंसिक साईंस पर वकीलों की कार्यशाला आयोजित


मंडी। जिला बार एसोसिएशन के बार रूम में फोरेंसिक साईंस की भूमिका विषय पर अधिवक्ताओं के लिए अपनी तरह की देश भर में पहली कार्यशाला का आयोजन किया गया। प्रदेश उच्च न्यायलय के न्यायमुर्ति वी के शर्मा ने बचाव पक्ष के अधिवक्ताओं के लिए आयोजित इस एक दिवसीय कार्यशाला की अध्यक्षता की। इस अवसर पर संबोधित करते हुए उन्होने अधिवक्ताओं को बधाई देते हुए कहा कि यह वर्कशाप अपनी तरह से देश भर की पहली कार्यशाला है जिसमें बचाव पक्ष के अधिवक्ताओं को फोरेंसिक साईंस की भूमिका के बारे में जानकारी दी गई। उन्होने कहा कि अधिवक्ता सब चीजों के बारे में बहुत कुछ जानते हैं लेकिन फोरेंसिक साईंस के बारे में भी उन्हे जानकारी होनी चाहिए। फोरेंसिक साईंस को जाने बिना बिना अधिवक्ता तहकीकात के दौरान सामने आई वैज्ञानिक रिर्पोटों की व्याखया नहीं कर सकता। न्यायमुर्ति ने प्रदेश फोरेंसिक साईंस लैबोरेटरी के निदेशक और फोरेंसिक विशेषज्ञों की उनकी टीम की तारीफ करते हुए कहा कि यह कार्यशाला न्यायिक प्रशासन के लिहाज से निश्चित रूप से मूल्यवान साबित होगी। इस मौके पर प्रदेश फोरेंसिक लैब के निदेशक डा अरूण शर्मा ने कहा कि इससे पहले फोरेंसिक विशेषज्ञों की टीम ने न्यायिक अधिकारियों, पुलिस अधिकारियों, अभियोजन और वन अधिकारियों के लिए कई कार्यशालाएं आयोजित की हैं लेकिन अधिवक्ताओं की कार्यशाला न केवल प्रदेश में बल्कि देश भर में पहली बार आयोजित की गई है। उन्होने कहा कि इस वर्कशाप से अधिवक्ताओं को फोरेंसिक साईंस की जानकारी हो जाने से वे ज्यादा बेहतर तरीके से फोरेंसिक साईंस से जुडी तहकीकात के बारे में तैयार हो सकेंगे। जिससे फोरेंसिक तहकीकात की क्वालिटी में भी ज्यादा सुधार होगा। कार्यशाला के दौरान डा अरूण शर्मा ने घटना स्थल से डीएनए सैंपल लेने और इसे आरोपी के साथ जोडने के बारे में जानकारी दी। मीनाक्षी महाजन ने साइबर क्राइम और इसकी तहकीकात के बारे में अधिवक्ताओं को बताया। विजय शर्मा ने टौक्सीकोलोजी और जहर के मामलों के बारे में बताया। जबकि विश्वेशवर शर्मा ने दस्तावेजों से जालसाजी, छेडछाड, हैंडराइटटिंग और नकली करंसी के बारे में जानकारी दी। अधिवक्ताओं ने इन विषयों पर रूचि दिखाते हुए विशेषज्ञों से अपने सवालों पर अंत:क्रिया की। अधिवक्ताओं के अनुसार इस कार्यशाला से उन्हे इस भ्रांती से छुटकारा मिला है कि विशेषज्ञ गवाह अभियोजन या पुलिस के गवाह नहीं होते बल्कि वे न्यायलय के गवाह होते हैं।

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