मंडी। नाबालिगा को शादी का झांसा देकर अगवा करने और उससे दुराचार करने का अभियोग साबित होने पर अदालत ने एक आरोपी को सात साल के कठोर कारावास और 20,000 रूपये जुर्माने की सजा सुनाई। अदालत ने इस अपराध का षडयंत्र रचने का अभियोग साबित होने पर आरोपी की बहन और दो अन्य आरोपियों को भी पांच-पांच साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई। अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायधीश राकेश कैंथला के न्यायलय ने जिला शिमला की सुन्नी तहसील के भराडा गांव निवासी बाबू राम पुत्र मुशु राम और उसकी बहन हेम लता, कुपवी (चौपाल) निवासी देविन्द्र सिंह और डीडरगढ (नवबिहार) निवासी भीम सिंह के खिलाफ भांदंसं की धारा 376, 363 और 366 के तहत क्रमश: सात साल और पांच-पांच साल के कठोर कारावास और क्रमश: बीस हजार व पांच-पांच हजार रूपये जुर्माने की सजा सुनाई। जुर्माना राशि निश्चित समय में अदा न करने पर आरोपियों को क्रमश: एक साल और छ:-छ: माह के साधारण कारावास की सजा भुगतनी होगी। आरोपियों से मिलने वाली जुर्माना राशि को पीडिता के पक्ष में बतौर हर्जाना अदा किया जाएगा। अभियोजन पक्ष के अनुसार पीडिता आरोपी हेमलता के पास सिलाई का प्रशिक्षण ले रही थी। हेमलता ने पीडिता को सिलाई सेंटर में बुलाया था। लेकिन इसके बाद जब वह घर नहीं पहुंची तो परिजनों ने सलापड पुलिस चौकी में शिकायत दर्ज करवाई थी। पुलिस ने मामला दर्ज करके पीडिता को बरामद करके आरोपियों को हिरासत में लिया था। पीडिता के अनुसार आरोपी हेमलता उसे जबरन एक गाडी में धकका देकर शिमला ले गई थी। इस गाडी को आरोपी भीम सिंह चला रहा था जबकि आरोपी देविन्द्र भी इसमें बैठा था। शिमला पहुंच कर हेमलता ने अपने भाई आरोपी बाबू राम के साथ मैजिस्ट्रेट के पास शादी करवा दी थी। इसके बाद आरोपी बाबू राम ने उसके साथ दुराचार किया था। पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ अदालत में अभियोग चलाया था। अभियोजन पक्ष की ओर से पैरवी करते हुए सहायक लोक अभियोजक जे के लखनपाल ने 21 गवाहों के बयान कलमबंद करके मामले को साबित किया। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि घटना के समय पीडिता की उम्र 16 साल से कम थी। इसलिए उसके सहमति से आरोपियों के साथ जाने का सवाल ही पैदा नहीं होता। ऐसे में अदालत ने आरोपियों को उक्त कारावास और जुर्माने की सजा सुनाई।
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