मंडी। एक ओर जहां शिक्षा के अधिकार को अमलीजामा पहनाने की कवायद चल रही है वहीं पर मंडी जिला के करीब 600 से भी अधिक अपंग बच्चों को पहले से मिल रही शिक्षा से भी वंचित कर दिया गया। जिससे इन बच्चों का भविष्य अधर में लटक गया है। वहीं इन्हे घर-घर में जाकर पढाने वाले करीब 70 विशेषज्ञ शिक्षकों की नियुक्तियों पर भी तलवार लटक गई है। हैरानी की बात यह है कि इस सारे प्रकरण से सर्व शिक्षा अभियान के तमाम अधिकारी अपना पल्लू झाड रहे हैं। स्कुलों में शैक्षणिक सत्र होने के साथ ही जिला के सैंकडों अक्षम बच्चों को आशा थी कि वह भी अन्य बच्चों की तरह अगली कक्षा में प्रवेश करके अपनी पढाई शुरू करेंगे। लेकिन इन बच्चों को यह सूचना एक भारी आघात की तरह महसूस हुई जिसमें उन्हे यह पता चला कि उन्हे पढाने वाले शिक्षकों की नियुक्ति पर रोक लगा दी गई है। सर्व शिक्षा अभियान के तहत जिला के करीब 600 से अधिक अपंग बच्चों को घरों के नजदीक शिक्षा मुहैया कराने के लिए स्पैशल एजुकेटर की तैनाती पिछले कई सालों से की जाती रही है। लेकिन इस बार जिला में कार्यरत इन एजुकेटरों को अनुबंधित नहीं किया जा रहा है। जिससे अपंग बच्चों का भविष्य अधर में लटक गया है। यह एजुकेटर दूसरे राज्यों से अपनी नौकरियां छोड कर अपने जिला में सेवाएं प्रदान कर रहे थे। लेकिन इस वर्ष इन शिक्षकों का अनुबंध नवीनीकरण नहीं किये जाने से वह बेकार हो गए हैं। इस सिलसिले में जिला के स्पैशल एजुकेटर संघ के प्रधान महेश की अध्यक्षता में एक बैठक सुंदरनगर के जवाहर पार्क में आयोजित की गई। जिसमें जिला के सभी प्रशिक्षित स्पैशल एजुकेटरों के अनुबंधों का नवीनीकरण करने की मांग की गई। उन्होने बताया कि बच्चों के परिजन उन्हे संपर्क करके सत्र आरंभ होने के कारण कक्षाएं शुरू करने के लिए आग्रह कर रहे हैं। लेकिन उन्हे अनुबंधित नहीं किया जा रहा है। जिससे अक्षम बच्चों की पढाई बाधित हो रही है। इधर, इस बारे में जिला परियोजना अधिकारी महेन्द्र पाल ठाकुर से संपर्क करने पर उन्होने बताया कि यह मामला अब राज्य परियोजना अधिकारी शिमला को प्रेषित किया गया है। वहीं जब अभियान के राज्य परियोजना अधिकारी रोहित जमवाल से संपर्क करना चाहा तो वह किसी बैठक में व्यस्त होने के कारण उपलब्ध नहीं हो सके।
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