Monday, 30 April 2012

नेरचौक के पूर्णचंद हत्याकांड में मौत का कारण पथराव नहीं बल्कि हृदयाघात, एक ही परिवार के तीन आरोपी बरी


मंडी। नेरचौक में पूर्णचंद हत्याकांड में मृतक पूर्णचंद की मौत पथराव से नहीं बल्कि हृदयाघात से हुई थी। अदालत ने मेडिकल सबूतों के आधार पर इस मामलों को हत्याकांड न मानते हुए एक परिवार के तीन सदस्यों को बरी करने का फैसला सुनाया। अतिरिक्त सत्र न्यायधीश राकेश कैंथला के न्यायलय ने भादंस की धारा 302 के तहत चलाए गए अभियोग के संदेह की छाया से दूर साबित न होने पर आरोपियों मनोहर लाल, उनकी पत्नी मीरा देवी और बेटी रक्षा देवी को बरी करने का फैसला सुनाया। अभियोजन पक्ष के अनुसार स्थानिय निवासी नरेश कुमार का मनोहर लाल के साथ रास्ते का लेकर विवाद था। पहली दिसंबर 2006 को नरेश कुमार वाहन पर विजय कुमार के साथ जा रहा था। इसी दौरान आरोपियों ने अपने आंगन से उन पर पथराव किया। इस पथराव के समय मौका पर आए स्थानिय निवासी पूर्णचंद पत्थरों की चोटें लगी थी। जिसकी बाद में अस्पताल में मौत हो गई थी। पुलिस ने मृतक का पोस्ट मार्टम करवा कर आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। पोस्ट मार्टम की रिर्पोट में डाक्टर संदीप वैद्या ने मृतक की मौत का कारण हृदयाघात बताया न कि पत्थर की चोट लगना। अदालत में अभियोजन पक्ष की ओर से इस मामले में 12 गवाहों के बयान दर्ज किए गए। जबकि बचाव पक्ष की ओर से अधिवकता बी सी शर्मा का कहना था कि मेडिकल सबूतों से जाहिर हुआ है कि मृतक की मौत का कारण पत्थरों की चोट से घायल होना नहीं था। पथराव से संबंधित मृतक के शरीर पर चोट के निशान भी नहीं थे। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि मेडिकल सबूतों से आरोपियों पर हत्या का अभियोग संदेह की छाया से दूर साबित नहीं हो पाया है। इसके अलावा अन्य गवाहों के बयानों में भी विरोधाभास है। ऐसे में अदालत ने आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी करने का फैसला सुनाया।  

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