Friday, 6 April 2012

एस डी एम सरकाघाट को उपभोक्ता फोरम ने दो मामलों में हर्जाना ठोंका


मंडी। जिला उपभोक्ता फोरम ने कापिंग एजेंसी के प्रभारी होने के नाते उपमंडलाधिकारी (एसडीएम) सरकाघाट को दो उपभोक्ताओं के पक्ष में हर्जाना अदा करने के आदेश दिए हैं। एसडीएम के अलावा एजेंसी के कलर्क को भी इन मामलों में हर्जाना अदा करना होगा। जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष राजीव भारद्वाज और सदस्यों रमा वर्मा एवं लाल सिंह ने सरकाघाट तहसील के इलाका सुरांगा के फडाणु गांव निवासी रंजीत सिंह पुत्र लक्ष्मण की शिकायत को उचित मानते हुए एसडीएम सरकाघाट और कापिंग एजेंसी के क्लर्क को उपभोक्ता के पक्ष में क्रमश: 3000 और 2000 रूपये की हर्जाना राशि एक माह में अदा करने के आदेश दिए। इसके अलावा उन्हे उपभोक्ता के पक्ष में 3000 रूपये शिकायत व्यय भी अदा करना होगा। अधिवक्ता पी एस तपवाल के माध्यम से फोरम में दायर शिकायत के अनुसार उपभोक्ता ने मुसाबी की सत्यापित कापी के लिए कापिंग एजेंसी में आवेदन किया था। यह कापी उन्हे अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायलय में लंबित एक मामले में पेश करनी थी। लेकिन उपभोक्ता को निश्चित समय में कापी जारी न की गई। जिसके चलते उन्होने फोरम में शिकायत दर्ज करवाई थी। इधर, एक अन्य मामले में सरकाघाट के उपमंडलाधिकारी को उपभोक्ता के फैसले की कापी मुहैया न करवाना उस समय मंहगा पड गया जब जिला उपभोक्ता फोरम ने उन्हे सेवाओं में कमी का दोषी करार दिया। फोरम ने उपमंडलाधिकारी सरकाघाट और कापिंग एजेंसी को उपभोक्ता के पक्ष में 10,000 रूपये की हर्जाना राशि अदा करने के आदेश दिए। फोरम ने सरकाघाट तहसील के इलाका भद्रोता के भद्रवाड निवासी सेवानिवृत कैप्टन बलदेव सिंह पुत्र अच्छर सिंह के पक्ष में उपमंडलाधिकारी सरकाघाट और कापिंग एजेंसी के क्लर्क को क्रमश: 7000 और 3000 रूपये की हर्जाना राशि एक माह में अदा करने के आदेश दिए। इसके अलावा उपभोक्ता के पक्ष में 3000 रूपये शिकायत व्यय भी अदा करना होगा। अधिवक्ता पी एस तपवाल के माध्यम से फोरम में दायर शिकायत के अनुसार उपभोक्ता ने 6 मई 2011 को सरकाघाट कापिंग एजेंसी में तहसीलदार के फैसले की नकल के लिए आवेदन किया था। उपभोक्ता कई बार उपमंडलाधिकारी के कार्यालय में गया लेकिन उन्हे फैसले की कापी मुहैया नहीं की गई। कापी न मिल पाने के कारण उपभोक्ता फैसले की अपील नहीं कर सका। जिसके चलते उपभोक्ता ने फोरम में शिकायत दायर की थी। फोरम ने अपने फैसले में कहा कि उपभोक्ता को कापी मुहैया न करवाने के इस प्रकरण के लिए उपमंडलाधिकारी ज्यादा जिम्मेवार हैं क्योंकि कापी एजेंसी के प्रभारी होने के नाते उन्हे नियमों की जानकारी होनी चाहिए थी। फोरम ने फैसले में कहा कि उपमंडलाधिकारी को कापिंग एजेंसी नियमों की जानकारी नहीं है जबकि स्टाफ भी इन नियमों से अनभिज्ञ है। फोरम ने फैसले की कापी मुहैया न करवाने को कापिंग एजेंसी की सेवाओं में कमी करार दिया। जिसके चलते फोरम ने उपभोक्ता को पहुंची परेशानी के बदले एजेंसी के प्रभारी उपमंडलाधिकारी और एजेंसी के क्लर्क को 10 हजार रूपये की उकत हर्जाना राशि के क्रमश: 7000 और 3000 रूपये अदा करने के आदेश दिए। वहीं शिकायत व्यय भी देने का फैसला सुनाया।  

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