स्पेशल मैजिस्ट्रेट करेंगे चेक बाउंस की सुनवाई,
जज नियुक्त, चार जिलों में स्थापित होंगी सेक्शन 138 की अदालतेें
मंडी। हिमाचल प्रदेश हाइकोर्ट ने नेगोशिएवल इंस्टूमेंट एक्ट 1881 की धारा 138 के तहत चैक बाउंस के बढ़ते मामलों के निपटारे के लिए चार जिलों में स्पेशल जुडिशियल मेजिस्ट्रेट नियुक्त किए हैं। हाईकोर्ट ने मंडी, शिमला, कल्लू और सोलन में सेक्शन 138 की अदालतें अलग से स्थापित कर दी हैं। इसके तहत जिला स्तर पर एक स्पेशल मेजिस्ट्रेट नियुक्त किए गए हैं। इन पदों पर सेवानिवृत कर्मचारियों को नियुक्त किया गया है। चार जिलों में स्पेशल मेस्ट्रिेट की नियुक्तियां फिलहाल एक वर्ष के लिए की गई हैं। उल्लेखनीय है कि इन चार जिलों में धारा 138 के मामलों की अधिकता है। ऐसे में इन जिलों को प्राथमिकता दी गई है।
सेक्शन 138 की अदालतों की स्थापना तेहरवें वित आयोग की सिफारिशों के मुताबिक की जा रही है। आयोग ने लोगों को फौरी न्याय के लिए अतिरिक्त अदालतें स्थापित रने पर बल दिया है और इसके लिए धन भी महैया करवाया है। अतिरिक्त अदालतें स्थापित करने का मकसद इस के मामलों को तेजी से निपटारा करना होगा। आरंभ में हिमाचल के चार जिलों में यह अदालतें स्थाापित की गई हैं। प्रयोग सफल रहने पर इनकी संखया भी बढ़ाई जाने की संभावना है।
उपरोक्त चारों जिला के मुखयालयों में स्थित अदालतों में नेगोशिएबल इंस्ट्रमेंट एक्ट की धारा 138 के तहत लंबित पड़े मामलों की फाइलों को स्पेशल मेजिस्ट्रेट की अदालत में भेजा जा रहा है। विंटर वोकेशन के बाद सेक्शन 138 के सभी मामलों की सुनवाई स्पेशल मेजिस्ट्रेट के कोर्ट में होंगी।
मेजिस्ट्रेट की नियुक्ति के साथ ही इसका विरोध भी शुरू हो गया है। ऑल इंडिया लॉयर युनियन (एआइएलयु) ने सेक्शन की अदालतेें अलग से स्थापित करने का कड़ा विरोध किया है। एआइएलय की मंडी इकाई के संयोजक यादविंद्र ठाकुर ने कहा कि इस तरह की अदालतें बनने से कानून के प्रति लोगों का भय और सममान खत्म हो रहा है। मोबाइल ट्रैफिक मैजिस्ट्रेट की अदालतें (एमटीएम) इसका उदाहरण है। जब से एमटीएम का गठन किया हुआ है तबसे ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन के मामलों में बढ़ौतरी हई है। इसमें कानून का उल्लंघन करने वाले किसी कोर्ट में खड़े नहीं होते बल्कि वह सीधे एमटीएम के पास चालान भुगत कर चलते बनते हैं। अदालतों में चालान के मामले आने से लोगों को कानून के बारे में पता चलता है और वह इसका उल्लंघन करने से बचते हैं। एमटीएम मात्र पैसा एकत्र करने का जरिया है इन अदालतों के प्रति जनता के मन में कोई डर नहीं है। इसी तरह अब सेक्शन 138 की अदालतेें स्थापित की जा रही है इसमें लोगों को कोई राहत मिलने वाली नहीं है। उन्होंने कहा कि जब तक जनता को इन अदालतों के बारे में जानकारी नहीं दी जाती तब तक एेसे मामलों में कोई कमी नहीं आएगी।
वरिष्ठ अधिवक्ता व बार काउंसिल के सदस्य देशराज शर्मा ने बताया कि अदालतों में नियुक्त किए गए नए मैजिस्ट्रेट पहले ही सरकारी नौकरी से सेवानिवृति हए हैं और उनकी नियक्ति के बारे में कोई स्पष्ट नीति नहीं अपनाई गई है। जिससे अधिवक्ताओं में भारी रोष है। इस तरह की नियक्ति से आम जनता का न्यायपालिका पर से विश्वास उठता जा रहा है। उन्होंने कहा कि इन पदों पर सही और पारदर्शी तरीके से नियुक्तियां होनी चाहिए।
मंडी बार एसोसिशन के सचिव लोकेन्द्र्र कुटलैहडिया ने एनआईए एक्ट के तहत स्पेशल मेजिस्ट्रेट की नियक्ति का विरोध करते हुए कहा कि बेहतर होता अगर इनके स्थान पर सब-जजों को नियुक्त किया जाता। उन्होंने कहा कि इन पदों पर ज्यूडिशियल सर्विसेस के पैट्रर्न से नियुक्तियां होनी चाहिए।
अभी तय नहीं कार्यक्षेत्र
सेक्शन 138 की अदालतेें सिर्फ नेगोशिएबल इंस्ट्रुमेंट एक्ट के मामलों को देखेंंगी। अदालतों का कार्यक्षेत्र क्या होगा अभी इस बारे में कोई स्पष्ट निर्देश नहीं है। चर्चा है कि स्पेशल ज्यडिशियल मेजिस्ट्रेट जिला मुखयालयों के अलावा उप मंडलीय अदालतों में सर्किट बेंच लगाएंगे, हालांकि एेसा भी कहा जा रहा है कि चेक बाउंस सहित नेगोशिएबल इंस्ट्रमेंट एक्ट के सभी मामले सेक्शन 138 की अदालतों में ही लगेंगे। उधर, नवनियुक्त विशेष जजों को 15 दिन का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल-कम-प्रिंसिपल सेेक्रेटरी एसी डोगरा ने बताया कि सेक्शन 138 की अदालतों के संबंध में गाइडलाइन तैयार की जा रही है जल्द ही इसे जारी कर दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि स्पेशल जुडिशियल मेजिस्ट्रेट का कार्यकाल एक वर्ष होगा।
स्पेशल मैजिस्ट्रेट करेंगे चेक बाउंस की सुनवाई
जज नियुक्त, चार जिलों में स्थापित होंगी सेक्शन 138 की अदालतेें
समीर कश्यप
मंडी। हिमाचल प्रदेश हाइकोर्ट ने नेगोशिएवल इंस्टूमेंट एक्ट 1881 की धारा 138 के तहत चैक बाउंस के बढ़ते मामलों के निपटारे के लिए चार जिलों में स्पेशल जुडिशियल मेजिस्ट्रेट नियुक्त किए हैं। हाईकोर्ट ने मंडी, शिमला, कल्लू और सोलन में सेक्शन 138 की अदालतेें अलग से स्थापित कर दी हैं। इसके तहत जिला स्तर पर एक स्पेशल मेजिस्ट्रेट नियुक्त किए गए हैं। इन पदों पर सेवानिवृत कर्मचारियों को नियुक्त किया गया है। चार जिलों में स्पेशल मेस्ट्रिेट की नियुक्तियां फिलहाल एक वर्ष के लिए की गई हैं। उल्लेखनीय है कि इन चार जिलों में धारा 138 के मामलों की अधिकता है। ऐसे में इन जिलों को प्राथमिकता दी गई है।
सेक्शन 138 की अदालतों की स्थापना तेहरवें वित आयोग की सिफारिशों के मुताबिक की जा रही है। आयोग ने लोगों को फौरी न्याय के लिए अतिरिक्त अदालतें स्थापित रने पर बल दिया है और इसके लिए धन भी महैया करवाया है। अतिरिक्त अदालतें स्थापित करने का मकसद इस के मामलों को तेजी से निपटारा करना होगा। आरंभ में हिमाचल के चार जिलों में यह अदालतें स्थाापित की गई हैं। प्रयोग सफल रहने पर इनकी संखया भी बढ़ाई जाने की संभावना है।
उपरोक्त चारों जिला के मुखयालयों में स्थित अदालतों में नेगोशिएबल इंस्ट्रमेंट एक्ट की धारा 138 के तहत लंबित पड़े मामलों की फाइलों को स्पेशल मेजिस्ट्रेट की अदालत में भेजा जा रहा है। विंटर वोकेशन के बाद सेक्शन 138 के सभी मामलों की सुनवाई स्पेशल मेजिस्ट्रेट के कोर्ट में होंगी।
मेजिस्ट्रेट की नियुक्ति के साथ ही इसका विरोध भी शुरू हो गया है। ऑल इंडिया लॉयर युनियन (एआइएलयु) ने सेक्शन की अदालतें अलग से स्थापित करने का कड़ा विरोध किया है। एआइएलय की मंडी इकाई के संयोजक यादविंद्र ठाकुर ने कहा कि इस तरह की अदालतें बनने से कानून के प्रति लोगों का भय और सममान खत्म हो रहा है। मोबाइल ट्रैफिक मैजिस्ट्रेट की अदालतें (एमटीएम) इसका उदाहरण है। जब से एमटीएम का गठन किया हुआ है तबसे ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन के मामलों में बढ़ौतरी हई है। इसमें कानून का उल्लंघन करने वाले किसी कोर्ट में खड़े नहीं होते बल्कि वह सीधे एमटीएम के पास चालान भुगत कर चलते बनते हैं। अदालतों में चालान के मामले आने से लोगों को कानून के बारे में पता चलता है और वह इसका उल्लंघन करने से बचते हैं। एमटीएम मात्र पैसा एकत्र करने का जरिया है इन अदालतों के प्रति जनता के मन में कोई डर नहीं है। इसी तरह अब सेक्शन 138 की अदालतेें स्थापित की जा रही है इसमें लोगों को कोई राहत मिलने वाली नहीं है। उन्होंने कहा कि जब तक जनता को इन अदालतों के बारे में जानकारी नहीं दी जाती तब तक एेसे मामलों में कोई कमी नहीं आएगी।
वरिष्ठ अधिवक्ता व बार काउंसिल के सदस्य देशराज शर्मा ने बताया कि अदालतों में नियुक्त किए गए नए मैजिस्ट्रेट पहले ही सरकारी नौकरी से सेवानिवृति हए हैं और उनकी नियक्ति के बारे में कोई स्पष्ट नीति नहीं अपनाई गई है। जिससे अधिवक्ताओं में भारी रोष है। इस तरह की नियक्ति से आम जनता का न्यायपालिका पर से विश्वास उठता जा रहा है। उन्होंने कहा कि इन पदों पर सही और पारदर्शी तरीके से नियुक्तियां होनी चाहिए।
मंडी बार एसोसिशन के सचिव लोकेन्द्र्र कुटलैहडिया ने एनआईए एक्ट के तहत स्पेशल मेजिस्ट्रेट की नियक्ति का विरोध करते हुए कहा कि बेहतर होता अगर इनके स्थान पर सब-जजों को नियुक्त किया जाता। उन्होंने कहा कि इन पदों पर ज्यूडिशियल सर्विसेस के पैट्रर्न से नियुक्तियां होनी चाहिए।
अभी तय नहीं कार्यक्षेत्र
सेक्शन 138 की अदालतेें सिर्फ नेगोशिएबल इंस्ट्रुमेंट एक्ट के मामलों को देखेंंगी। अदालतों का कार्यक्षेत्र क्या होगा अभी इस बारे में कोई स्पष्ट निर्देश नहीं है। चर्चा है कि स्पेशल ज्यडिशियल मेजिस्ट्रेट जिला मुखयालयों के अलावा उप मंडलीय अदालतों में सर्किट बेंच लगाएंगे, हालांकि एेसा भी कहा जा रहा है कि चेक बाउंस सहित नेगोशिएबल इंस्ट्रमेंट एक्ट के सभी मामले सेक्शन 138 की अदालतों में ही लगेंगे। उधर, नवनियुक्त विशेष जजों को 15 दिन का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल-कम-प्रिंसिपल सेेक्रेटरी एसी डोगरा ने बताया कि सेक्शन 138 की अदालतों के संबंध में गाइडलाइन तैयार की जा रही है जल्द ही इसे जारी कर दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि स्पेशल जुडिशियल मेजिस्ट्रेट का कार्यकाल एक वर्ष होगा।
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