मंडी। जिला उपभोक्ता फोरम ने वाहन विक्रेता और निर्माता को उपभोक्ता के पक्ष में 10,25,000 रूपये ब्याज सहित अदा करने के आदेश दिये। इसके अलावा 5699 रूपये की राशि भी उपभोक्ता को ब्याज सहित लौटाने को कहा। वहीं पर विक्रेता व निर्माता की सेवाओं में कमी के चलते उपभोक्ता को पहुंची मानसिक यंत्रणा के बदले 20,000 रूपये हर्जाना और शिकायत व्यय भी अदा करने के आदेश दिये। जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष जे एन यादव और सदस्यों रमा वर्मा एवं लाल सिंह ने जिला हमीरपूर की भोरंज तहसील के हिमर गांव निवासी पवन कुमार पुत्र बृज लाल की शिकायत को उचित मानते हुए वाहन विक्रेतासाउली खडड के इंडस्ट्रियल एरिया स्थित बैहल मोटरस और निर्माता मुमबई स्थित टाटा मोटरस को उपभोक्ता के वाहन के बदले उसी मॉडल का नया वाहन देने या फिर वाहन की मूल्य राशि 9 प्रतिशत ब्याज दर सहित अदा करने का फैसला सुनाया। इसके अलावा उपभोक्ता से रिपेयर के लिए वसूली गई राशि भी ब्याज सहित देने के आदेश दिये। अधिवक्ता हितेश बैहल के माध्यम से फोरम में दायर शिकायत के अनुसार उपभोक्ता ने अपनी आजीविका कमाने के लिए उक्त विक्रेता से निर्माता का बनाया हुआ ट्रक खरीदा था। लेकिन वाहन खरीदने के बाद से ही इसमें खराबी आनी शुरू हो गई। वाहन ने अधिक इंजिन आयल लेना शुरू कर दिया। इसके कैबिन में पानी आना शुरू हो गया। वाहन की ब्रेक और स्टेरिंग में भी खराबी आ गई। उपभोक्ता ने विक्रेता से संपर्क किया तो उन्होने वाहन को हमीरपूर में ठीक करवाने को कहा। खराबी ठीक न होने के बाद उन्हे शिमला में चैक करवाने को कहा गया। लेकिन वाहन में निर्माण से संबंधित खराबी होने के कारण इसे ठीक नहीं जा सका। वाहन के खराब रहने से उपभोक्ता अपनी आजीविका कमाने में असमर्थ हो गया। ऐसे में उन्होने फोरम में शिकायत दायर की थी। फोरम ने अपने फैसले में कहा कि विक्रेता की ओर से फोरम की कार्यवाही में भाग न लेने पर यह माना गया कि विक्रेता को इस बारे में कुछ नहीं कहना है और उन्होने उपभोक्ता की शिकायत को उचित मान लिया है। वहीं पर वाहन निर्माता ने यह माना कि वाहन वारंटी अवधि में था। तथ्यों से यह भी साबित हुआ है कि वाहन मे निर्माण से संबंधित खराबी थी। फोरम ने अपने में फैसले में कहा कि खराब वाहन को बेचने और इसे नहीं बदलने की कार्यप्रणाली सेवाओं में कमी को दर्शाती है। जिसके चलते फोरम ने उपभोक्ता के पक्ष में नया वाहन देने अथवा इसकी मूल्य राशि और वारंटी में रिपेयर के लिए वसूली गई राशि ब्याज सहित अदा करने के आदेश दिये। फोरम ने विक्रेता और निर्माता की सेवाओं में कमी के कारण उपभोक्ता को हुई मानसिक यंत्रणा के बदले हर्जाना और शिकायत व्यय भी अदा करने का फैसला सुनाया।
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