मंडी। ग्रीन ट्रिब्युनल बैंच के आदेश की अनुपालना के तहत धार्मिक त्रिवेणी रिवालसर में धार्मिक मंत्रों पर चढाए गए रंगों को अवैज्ञानिक तरीके से मिटाया जा रहा है। जिससे इन ऐतिहासिक स्थलों के स्वरूप बदलने और नष्ट होने का खतरा हो गया है। इस बारे में स्थानिय लोगों ने उपायुक्त के माध्यम से प्रदेश के मुखयमंत्री को ज्ञापन प्रेषित किया है। प्रेस को जानकारी देते हुए गुरूदास नेगी, कुमार सिंह नेगी, थुप तेन, तारा चंद नेगी और दुर्गा दास ने बताया कि हिंदू, बौध और सिख धर्म की त्रिवेणी रिवालसर में ग्रीन बेंच के आदेश के तहत इन दिनों चट्टानों और पत्थरों पर उकेरे गए धार्मिक मंत्रों पर चढाए गए रंग को हटाने की कार्यवाही चल रही है। लेकिन इन स्थलों से रंग हटाने के लिए रेगमाल और तारपीन का प्रयोग अवैज्ञानिक तरीके से किया जा रहा है। जिससे इन धरोहरों के नष्ट होने का खतरा बन गया है। वहीं पर लोगों की धार्मिक भावनाएं भी आहत हो रही हैं। उन्होने बताया कि रिवालसर झील परिक्रमा में ग्राम पंचायत लोअर रिवालसर के गेट के बाहर करीब 6 फुट ऊंची चटान पर गुरू पदम संभव की प्रतिमा और गुरू अवलोकतेश्वर का मंत्र प्राचीन समय से उकेरा गया है। इस चट्टान का उल्लेख वर्ष 1920 में मंडी के तात्कालीन अधीक्षक एमरसन ने भी गजेटियर आफ मंडी स्टेट में किया है। लेकिन इस ऐतिहासिक धरोहर पर चढाए गए रंग को हटाने के नाम पर इसे खराब करने की चेष्टा की जा रही है। उन्होने कहा कि ग्रीन बेंच के आदेशों में यह कहीं नहीं कहा गया है कि इन धरोहरों से रंग हटाने के नाम पर इन्हे नष्ट कर दिया जाए। उन्होने कहा कि अवैज्ञानिक ढंग से रंग हटाने का कार्य किये जाने से न केवल स्थानिय वासियों में गहरा रोष है बल्कि इससे लोगों की धार्मिक भावनाओं पर भी चोट पहुंच रही है। उन्होने कहा कि अवैज्ञानिक ढंग से रंग हटाने के नाम पर धरोहरों से छेडछाड करने और इन्हे नष्ट करने के बारे में ग्रीन बेंच को भी अवगत करवाया जाएगा। उन्होने मुखयमंत्री से मांग की है कि अगर इन धरोहरों का रंग हटाकर असली रूप में लाना है तो इसके लिए पुरातत्व विभाग अथवा विशेषज्ञों की राय लेकर ही कार्य शुरू करना चाहिए। अन्यथा प्राचीन धरोहरों से रंग हटाने के नाम पर इनका स्वरूप ही बदल जाएगा और यह नष्ट हो जाएंगी।
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