Wednesday 9 October 2013

मोबाइल और प्रेमिका



मोबाइल और प्रेमिका

मोबाइल

तुम हमारे सबसे बडे दुश्मन

प्रतीत होते हो जब सटे होते हो

प्रेमिका के कान से।

तुमसे और तुम्हे सुनने वाली से

इर्ष्या सी होने लगती है यकीन मानो।

तुम्हारे और उसके रवैये से

अनगिनत आशंकाओं के घनघोर बादल

भीतर ही भीतर उमड-घुमड पडते हैं।

क्यों चिपके हो उसके कान से।

क्या जल्दी से अपनी बात खत्म करके

बंद नहीं हो सकते।

क्यों लगातार खिलखिला कर हंसाए जा रहे हो उसे।

क्या हक है तुम्हारा

हम जैसों के उम्र भर पुराने प्रेम से

खिलवाड करने का।

इतना हंसाना तो दूर हमें तो

बतियाना भी नहीं मिल पाया उम्र भर उनसे।

क्यों जाहिर कर जाते हो वह सब

जो समझ कर भी हम समझना नहीं चाहते,

कि वह हमारे अदृश्य प्रेम निवेदनों से कोसों दूर,

लोटपोट करने, गुदगुदाने, धीमे से फुसफुसाने और

अकेली जगहों में तुम्हारे जरिये सुनी जाने वाली

आवाजों के प्यार में तल्लीन है।

हमें हरगिज बर्दास्त नहीं तुम्हारा

अतिक्रमण और तुम्हारी साफगोई

हमारे प्रेम की असफलता दर्शाने की।

मोबाइल भाई, इसे चेतावनी समझ लेना

और याद रखना गर

प्रेम को छल से छीनने की

खतरनाक करतूत जारी रखी तो

यह खूबसूरत अनुभूति भरभरा के ढह जाएगी।

प्रेम पर से विश्वास उठने का अर्थ होता है

सपनों का मर जाना।

और तुम्हे याद रहे

सबसे खतरनाक होता है

सपनों का मर जाना।

समीर कश्यप

9-10-2013

sameermandi@gmail.com

98161 55600

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