मंडी। धार्मिक त्रिवेणी रिवालसर में बनाई गई गुरू पदम संभव की विशालकाय प्रतिमा के निर्माण में धारा 118 का उल्लंघन नहीं हुआ है। मंडलायुक्त मंडी आर डी नजीम ने इस बहुचर्चित मामले में महत्वपुर्ण फैसला सुनाते हुए निर्माण को उचित ठहराते हुए उपायुक्त मंडी को धारा 118 के तहत दी गई अनुमति में दुरूस्ती करने के आदेश दिये हैं। न्यायलय ने अपने फैसले में कहा कि रिवालसर स्थित जिगर द्रुपक कदियुत संस्था ने रिवालसर में गुरू पदम संभव(दूसरा बुध) की भव्य प्रतिमा बनाने के लिए प्रदेश सरकार के पास आवेदन किया था। लेकिन सरकार की ओर से धारा 118 के तहत संस्था को भगवान बुध की प्रतिमा बनाने के आदेश दिये थे। रिवालसर निवासी महेन्द्र कुमार ने उपायुक्त को अर्जी दी थी कि संस्था ने रिवालसर में अनुमती का उल्लंघन करते हुए भगवान बुध की जगह गुरू पदम संभव की प्रतिमा बना दी है। जिसके चलते उपायुक्त मंडी ने उपमंडलाधिकारी सदर को इस बारे में जांच के आदेश दिये थे। उपमंडलाधिकारी ने इस बारे में अपनी रिर्पोट में कहा था कि संस्था ने धारा 118 की अनुमती का उल्लंघन किया है। जिसके चलते उपायुक्त न्यायलय ने संस्था को तलब किया था। उपायुक्त न्यायलय ने अपने फैसले में कहा था कि संस्था ने भगवान बुध की जगह गुरू पदम संभव की प्रतिमा बनाकर धारा 118 की अनुमती का उल्लंघन किया है। जिसके चलते उपायुक्त न्यायलय ने अनुमती को वापिस लेने के आदेशों के साथ-2 उपमंडलाधिकारी सदर को प्रतिमा की भूमि वाली जगह को अपने कब्जे में लेने और प्रतिमा वाली जगह के सारे सामान की सूचि तैयार करने के आदेश दिये थे। जिसके चलते संस्था ने उपायुक्त न्यायलय के फैसले की अपील मंडलायुक्त न्यायलय में की थी। संस्था के अधिवक्ता आर के शर्मा के अनुसार इस बारे में आरटीआई के माध्यम से जानकारी से सपष्ट हुआ कि संस्था ने भगवान बुध की प्रतिमा के लिए अनुमति नहीं मांगी थी बल्कि उन्होने गुरू पदम संभव (दूसरा बुध) की प्रतिमा के लिए अनुमति को आवेदन किया था। पदम संभव को बौध धर्म में दूसरा बुध माना जाता है। इधर संपर्क करने पर मंडलायुक्त आर डी नजीम ने फैसले की पुष्टि करते हुए बताया कि अनुमति में जरूरी बदलाव के लिए उपायुक्त को निर्देश दिये गये हैं। उन्होने कहा कि संस्था की ओर से गुरू पदम संभव की प्रतिमा के लिए ही आवेदन किया गया था। लेकिन उन्हे गल्ती से भगवान बुध की प्रतिमा के लिए अनुमती दी गई है।
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