मंडी। चरस तस्करी करवाने का अभियोग साबित न होने पर अदालत ने एक आरोपी को बरी करने का फैसला सुनाया। अभियोजन पक्ष द्वारा पेश किये गए साक्ष्यों से आरोपी पर संदेह से दूर अभियोग साबित न होने के कारण अदालत ने यह फैसला सुनाया। फास्ट ट्रैक कोर्ट के पीठासीन अधिकारी आर के शर्मा के न्यायलय ने कुल्लु जिला के टापरू बाईं (जलुग्रां) निवासी मोहर सिंह पुत्र बेलू राम के खिलाफ मादक एवं नशीले पदार्थ अधिनियम की धारा 29 के तहत अभियोग साबित न होने पर उसे बरी कर दिया। अभियोजन पक्ष के अनुसार 9 दिसंबर 2009 को औट थाना पुलिस का दल झलोगी के पास गश्त पर तैनात था। इसी दौरान एक आरोपी अनुप राम मंडी की ओर आता हुआ दिखाई दिया। जिसकी तलाशी लेने पर उसके बैग से एक किलो चरस बरामद हुई थी। अनुप राम से पुलिस पुछताछ में उसने बताया था कि यह चरस उसे मोहर सिंह ने मंडी पहुंचाने के लिए दी थी। जिस पर पुलिस ने मोहर सिंह को हिरासत में लेकर अदालत में अभियोग चलाया था। अभियोजन पक्ष की ओर से इस मामले में 13 गवाहों के बयान कलमबंद किये गये। जबकि बचाव पक्ष की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता समीर कश्यप का इस मामले में कहना था कि अभियोजन पक्ष की ओर से अदालत में पेश किये गए साक्ष्यों में विरोधाभास होने से आरोपी पर अभियोग साबित नहीं होता। अदालत ने दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष की ओर से पेश किये गए साक्ष्यों से आरोपी के खिलाफ संदेह की छाया से दूर अभियोग साबित नहीं होता। जिसके कारण अदालत ने आरोपी को संदेह का लाभ देते हुए बरी करने का फैसला सुनाया।
Sunday, 11 November 2012
चरस तस्करी करवाने का आरोपी अभियोग साबित न होने पर बरी
मंडी। चरस तस्करी करवाने का अभियोग साबित न होने पर अदालत ने एक आरोपी को बरी करने का फैसला सुनाया। अभियोजन पक्ष द्वारा पेश किये गए साक्ष्यों से आरोपी पर संदेह से दूर अभियोग साबित न होने के कारण अदालत ने यह फैसला सुनाया। फास्ट ट्रैक कोर्ट के पीठासीन अधिकारी आर के शर्मा के न्यायलय ने कुल्लु जिला के टापरू बाईं (जलुग्रां) निवासी मोहर सिंह पुत्र बेलू राम के खिलाफ मादक एवं नशीले पदार्थ अधिनियम की धारा 29 के तहत अभियोग साबित न होने पर उसे बरी कर दिया। अभियोजन पक्ष के अनुसार 9 दिसंबर 2009 को औट थाना पुलिस का दल झलोगी के पास गश्त पर तैनात था। इसी दौरान एक आरोपी अनुप राम मंडी की ओर आता हुआ दिखाई दिया। जिसकी तलाशी लेने पर उसके बैग से एक किलो चरस बरामद हुई थी। अनुप राम से पुलिस पुछताछ में उसने बताया था कि यह चरस उसे मोहर सिंह ने मंडी पहुंचाने के लिए दी थी। जिस पर पुलिस ने मोहर सिंह को हिरासत में लेकर अदालत में अभियोग चलाया था। अभियोजन पक्ष की ओर से इस मामले में 13 गवाहों के बयान कलमबंद किये गये। जबकि बचाव पक्ष की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता समीर कश्यप का इस मामले में कहना था कि अभियोजन पक्ष की ओर से अदालत में पेश किये गए साक्ष्यों में विरोधाभास होने से आरोपी पर अभियोग साबित नहीं होता। अदालत ने दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष की ओर से पेश किये गए साक्ष्यों से आरोपी के खिलाफ संदेह की छाया से दूर अभियोग साबित नहीं होता। जिसके कारण अदालत ने आरोपी को संदेह का लाभ देते हुए बरी करने का फैसला सुनाया।
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