मंडी। विश्व बाल श्रम निषेध दिवस पर जिला विधिक साक्षरता प्राधिकरण की ओर से नेरचौक स्थित निर्माणाधीन मेडिकल कालेज में एक शिविर का आयोजन किया गया। शिविर की अध्यक्षता न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी कोर्ट नंबर तीन उपासना शर्मा ने की। इस अवसर पर मजदूरों को संबोधित करते हुए उन्होने कहा कि श्रमिक यह भली भांती जानते हैं कि अगर भवन की नींव कच्ची रह जाए तो इसके टिके रहने की बहुत कम गुंजाइश रहती है। उन्होने कहा कि उसी तरह से बच्चे देश की नींव होते हैं। अगर उनके बचपन में शिक्षा की कमी रह जाए तो हम सुदृढ देश बनाने की कल्पना नहीं कर सकते। ऐसे में बाल श्रम को रोकना देश हित के लिए बहुत जरूरी हो जाता है। उन्होने कहा कि अगर किसी को यह जानकारी मिलती है कि उनके गांव, मुहल्ले या पडोस में किसी जगह बाल श्रम करवाया जा रहा है तो इस बारे में उन्हे स्थानिय श्रम अधिकारी को सूचित करना चाहिए। उन्होने कहा कि बाल मजदूर उन्मूलन अधिनियम के तहत 14 साल तक के बच्चे से किसी भी प्रकार की मजदूरी करवाना कानूनी जुर्म है। जिसके लिए न केवल सजा का प्रावधान है बल्कि ऐसा करने पर हर्जाना भी अदा करना पडता है। पैरा लीगल वालंटियर अधिवक्ता समीर कश्यप ने कहा कि इस साल विश्व बाल श्रम दिवस का विषय (थीम) बाल श्रम को ना, शिक्षा को हां है। अंतराष्ट्रिय श्रम संगठन के अनुमानों के अनुसार विश्व भर में करीब 21 करोड 80 लाख बाल श्रमिक हैं। भारत सरकार की 2001 की जनगणना के मुताबिक देश भर में एक करोड 27 लाख बच्चे बाल श्रम में लगे हुए हैं। जबकि राष्ट्रिय स्वास्थय तथा परिवार कल्याण विभाग की ताजा रिर्पोट के मुताबिक प्रदेश में 2590 बच्चे बाल मजदूरी कर रहे हैं। उन्होने कहा कि प्रदेश में बाल श्रम करने वाले ज्यादातर मजदूर बाहरी राज्यों से हैं। यह प्रदेश भर में ढाबों, होटलों, औद्योगिक क्षेत्रों और जल विद्युत परियोजनाओं में काम कर रहे हैं। उन्होने बाल श्रमिकों की शिक्षा के लिए जागरूक करने का आहवान किया। इस अवसर पर श्रम निरिक्षक भावना शर्मा तथा मेडिकल कालेज का निर्माण करवा रही कंपनी के अधिकारी और श्रमिक मौजूद थे।
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