मंडी। मिडिएशन (मध्यस्थता) के जरिये सुलझाए गए अपनी तरह के पहले मामले में एक परिवार को टुटने से बचा लिया गया। जिससे अदालतों में लंबित मामलों के मिडिएशन के माध्यम से शीघ्र निस्तारण की उम्मीद जगी है। न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी जोगिन्द्रनगर के न्यायलय से मिडिएशन के लिए एक वैवाहिक मामला सुलझाने के लिए जिला एवं सत्र न्यायलय के मिडिएशन सेंटर को प्रेषित किया गया था। मिडिएशन सेंटर की ओर से यह मामला सुलझाने के लिए प्रशिक्षित मिडिएटर समीर कश्यप को सौंपा गया। मिडिएशन के तहत दोनों पक्ष सुनवाई के लिए उपस्थित हुए। जिसमें मिडिएटर ने उन्हे मिडिएशन के बारे में बताया कि मिडिएशन के तहत दोनों पक्ष ही अपने मामले को हमेशा-2 के लिए सुलझाने का प्रयास करेंगे। मिडिएशन के दौरान दोनों पक्षों के साथ अलग-अलग और सामुहिक सत्र में विवाद को सुलझाने के लिए संबंधित पक्षों से सुझाव मांगे गए। विवाहिता के अदालत में अपने पति के खिलाफ गुजारा भता और घरेलु हिंसा अधिनियम के तहत मामले लंबित थे। विवाहिता का कहना था कि उसका पति उससे मारपीट करता है अगर वह मारपीट बंद करने की बात मानता है तो वह अपने ससुराल वापिस जाने को तैयार है। पति को जब महिलाओं के अधिकारों के बारे में जानकारी दी गई तो उसने माना कि वह भविष्य में अपनी पत्नी से मारपीट नहीं करेगा। जिस पर दोनों पक्षों के बीच एक समझौतानामा तैयार किया गया और दोनों पक्षों को विवाहिता के ससुराल में 15 दिनों तक इकठे रहने को कहा गया और इसके बाद उन्हे मिडिएशन सेंटर में इस बारे में फिर से उपस्थित होने के निर्देश दिये गये। लगभग दो सप्ताह तक साथ रहने के बाद दोनों पक्षों ने मिडिएटर को बताया कि उनका विवाद अब समाप्त हो गया है और वह अब भविष्य में इकठे और शांतीपूर्ण ढंग से रहेंगे। मिडिएटर ने दोनों पक्षों के ब्यान कलमबंद करके जिला एवं सत्र न्यायलय को मध्यस्थता सफल होने के बारे में अपनी रिर्पोट सौंप दी। जिला एवं सत्र न्यायलय की ओर से जोगिन्द्रनगर न्यायलय को यह मामला सुलझ जाने की रिर्पोट प्रेषित की गई। जिस पर जोगिन्द्रनगर न्यायलय ने इस मामले को अंतिम तौर पर सुलझा लिया। जिला एवं सत्र न्यायलय के अधीक्षक प्रथम श्रेणी सुरेन्द्र कुमार ने मिडिएशन के जरिये मामला सुलझा लेने की पुष्टि की है।
Nice.... Sameer Bhai, we expect more and more cases will be referred to the Mediation for settlement and you among other mediators shall render your services in mediation center and help litigants/aggrieved persons to sort out their problems own their own, through mediation and that too of course! with out any expenses involved and would like to add that it is quite interesting and useful to know that none of the party of case involved, can go for an appeal in the court and if either of the party willing to do so, it will not be accepted by the court,as per the mediation Rules, since in mediation, parties themselves come to an agreement to solve their case/dispute in the presence of the Mediator.
ReplyDeleteआपके प्रेरणा भरे कमेंट के लिए बहुत-2 धन्यावाद लोकेश भाई जी।
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