Thursday, 27 June 2013

खलयार महल्ले री सैर



मंडयाली लेख- एक

खलयार महल्ले री सैर

आज एक विचारे जोर पकडी लितया भई मुंजो आपणे दफ्तरा रा काम पूरा करने बाद सैरा (इवनिंग वॉक) कठे निकलणा चहिए। इने विचारे काम टाईमा परा निपटाणे कठे हाऊँ बुझां आंदोलित हे करी दितेया। मना बीच सोचया भई एक बारी भी कने आपणे मंडी शहरा री परिक्रमा करणी। पहले हाऊं भ्यागा जां था सैरा जो पर ऐस बारी मुंजो सांझकी मंडी देखणे जो मिलणी। सांझकी मंडी रा मतलब ज्यादा लोक देखणयो मिलणे। क्योंकि ज्यादातर लोक सांझा आपणे घरौ बखौ चली पौहायें या घरा पहुंची जाहें। दफ्तरा ले निकलदे-निकलदे 7.27 बजी गये। इरादे रे मुताबिक मैं मुघवाण (भगवाहन) महल्ले आपणे घरा री हेठली मंजला रे आपणे दफ्तारा ले सैर कठे चली पया। बाहर निकलुआं जेबे चलया ता कई ऐहडे लोक सुझे जो विरले हे मिलाहें थे मुंजो। बंगला महल्ला, शमशान घाट, हनुमान घाट, कादस रूद्र मंदरा बगैरा बटिहें गुजरदा हुआ जेबे पुराणी मंडी रे विक्टोरिया पुलहा पराले पहुंचेया ता तेथी ता नजारा हे कुछ होर था। ब्यास दरयाव बुझां आपणी पूरी जवानी पराले था। आपणे दोनो बाडहा री जानियां जो ढकी कने होर पूरे ताडा बिच फैली कने बैहंदा हुआ आपणे विस्तारा रा ऐहसास करवाई करां था। पता नी कितना हे पाणी कुछ हे क्षणा बिच पुला जो पार करी देई कराहां था। पर इतना जरूर था भई बाजारा री उमस पुलहा पराले एक दम गायब थी। बल्कि धुंध होर ठंडी-2 सुकून देंदी हवा सारी ध्याडी री गर्मी बिच फुखी रे शरीरा ले छु मंतर करी कराहीं थी। पुहल पार करूआं हाऊं वार्ड नंबर एक खलयार मुहल्ले री सडका परा पहुंची गया। एन एच-20 पठानकोट मंडी सडका रे दोनों तरफ बसी रा खलयार मुहल्ला। ऐस मुहल्ले रा नांव जवाहर नगर बी हा। लकडी डिपो, शनी मंदिर, डी सी निवास, जवाहर पार्क, डी ए वी स्कूल, राधास्वामी बगैरहा कुछ ऐहडी जगहा ही ऐस मुहल्ले बिच जिन्हा रे बारे बिच मंडी रे लोग काफी हदा तक जाणाहें। बुजुर्ग दसाहें भई ये महल्ला बडी प्लानिंग के बणाइरा। ऐस मुहल्ले बडे बांके-2 घर बणीरे होर खलयारा जो मंडी रा पॉश महल्ले मनया जाहां। पर ऐभे कुछ लोग पहाडा री कटिंगा करी के घर बनाई कराहें। जेता के जमीन धंसणे रा भी खतरा हुई गईरा। कुछ टाइम पहले कई मकाना पर मलबा आई गया था होर कटौले वाली सडक भी लाहसा आउणे ले टुटी गई थी। खलयारा रे दूजे कुणे पराले बणिरे गैसा रे स्टोरा वाले पुहला तका मेरी सैरा रा आखिरी पडाव था। इथी ले ब्यासा पराले नजर घुमाई तो सामणे ऐस बारी भी एक विहंगम दृष्य मौजूद था। ब्यास दरयाव आपणे पूरे विस्तार के बही कराहां था। रघुनाथा रे पाधरा बाले दरयावा रा खूबसूरत मोड ऐहडा लगी कराहां था बुझां एक बहुत बडा सर्प गुजरी करहां। दरयावा जो देखी के उतराखंडा री याद भी ताजी हुई गई। ब्यास दरयावा रे ऐस प्रवाह अगे केस री चली सकाहीं। होर अजही तका ता दरयावे हनुमान रे पैर तक नीं छुईरे तेबे हे इतना पराक्रम सुझी कराहें। अगर किथकी केदारनाथा साहीं घटना इथी घटित जाओ ता आसारे शहरा रा क्या हश्र हुणा हुंगा ऐता रा ता आसे अनुमान बी नीं लगाई सकदे। खैर, इन्हाये सोच बिच खोईरे-2 मैं आपणी वापिसी री यात्रा शुरू करी दिती। पेट्रोल पंपा रे सामने एक पाणी मुटिरा। सोचया पाणी पी लूं। जेबे पाणी पितया ता ये बडा भारी मीठा लगया। फेरी ध्यान गया भई सौगी हे एक पुराणी बांय ही जे आधी सडक रे हेठ ढकी गईरी। ये बांय आचकल सुक्की गईरी। ऐहडा हुई सकां भई ये मुटिरा पाणी बांई रा हे पाणी हो। छुहडु पीछे लगीरे मकाना रे काम के ये पाणी छुहडु बटियें मुटी गईरा हो। प्रशासना जो ऐस मुटिरे पाणी कठे एक बांय बनाणी चाहिए या पुरानी बांय हे ठीक करी देणा चाहिए। कोयला री आवाजा होर झिंगरा रा संगीत मेरी सैर जो होर सुंदर बनाई कराहां था। कोई चीज तंग करी कराहीं थी ता सिर्फ एन एच 20 पर दौडदी गडियां। गडियां होर गडियां, कारा होर कारा, जीपा होर जीपा, होर होर जीपा, बसा, ट्रक, टैंकर होर स्कूटर-मोटरसाइकल। इन्हा ले बचणा बडा जरूरी हुई जाहां अगर तुसे सैरा रा सही मजा लैणा चाहें। ता ये थी साथियो मेरी खलयार महल्ले री सैर। अगर सैरा रा दौर जारी रैहा तो तुसा जो होर महल्लेयां री सैर भी करवांघा। धन्यावाद समीर कश्यप sameermandi@gmail.com

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