पुराणी मंडी री सैर
मंगलवार 25 जूना ले शुरू हुईरा सैरा रा सिलसिला लगातार जारी हा। खलयारा बाद अगले दिन यानी बुधवारा जो मेरी सैरा रा रूट था पुराणी मंडी। पुराणी मंडी विक्टोरिया पुलहा रे नेडे तेडे री जगहा आजकाले चैहल-पैहला वाली हुई गईरी। विक्टोरिया पुलहा बटियें गडिया री भारी आवाजाही रे करूआं कबलाहे जाम लगीरा रैहां। आसौ ता शुक्रगुजार हुणा चाहिए अंग्रेजा रा जिन्हे पारली (पुराणी) मंडी होर वारली मंडी रे दो किनारेयां जो गडियां लायक जोडने कठे सन 1875 बिच विक्टोरिया पुलह बनवाया था। ऐस पुलहा री गारंटी 100 साला तक थी पर ये आजकल 136 साला रा हुई गईरा। तेबे बी ये बेतहाशा बधी गईरी गडिया रा भार सही करहां। पुलहा री हालता जो देखदे हुए कई बार नौंवे पुलहा जो बनाणे री गला बी सामणे आउंदी रैहयांई पर पता नी बणना कधी हा कि पता नी सिर्फ राजनीती हे हुंदी रैहणी। फिलहाल आसारा प्रशासन ऐस पुलहा पराले तरस नी खाई करदा। पुलहा रे सौगी हे पठानकोट होर कटौले बखौ जाणे वाली सवारियां रा बस स्टॉप बणी गईरा। सारा दिन भर लोक इथी रेन शैल्टरा बाले होर पीपला रे हेठ आपणी बसा आउणे रा इंतजार कराहें। इन्हा लोका कठे बैठणे जो कोई जगहा नी जेता करूआं इन्हां जो कडाके रे धुप्पे होर बरखा बिच आपणा टाइम निकालणा मुश्कल हुआं। ऐस बस स्टॉप रे नजदीक कोई पशाब खाना भी नीं हा जेता करुआं लोका जो बडी परेशानी झेलणी पौंहाई। हालांकि नगर परिषदे एक पशाबखाना इथी बनाईरा बी हा पर ये बी काम नी करी करदा। इथी हे ब्यास दरयावा रे कंडहे पुराणी मंडी रा शमशान घाट है। पर कुछ टाईम पहले मलबा आउणे ले ये दभी गया था। अझी भी ये पूरी तरहा के ठीक नीं हुईरा। ऐस जगहा एक बारी इतना मलबा आई गया था जे एन एच 20 कई ध्याडे बंद रैहा था। मलबे बीच बडी-2 चटाना सडका पर उतरी गई थी। शुक्र हा जे कोई इन्हुए टपदा नी लगीरा था तेबे केसी जो जानी रा नुकसान नी हुआ निता तेसरा कुछ नी बचणा था। मंडी रा सभी ले पुराणा महल्ला पुराणी मंडी हा। दरअसल सेन वंश रे राजा बाणसेन सभी थे पहले शिवा बदारा ले भ्युली होर पुराणी मंडी हे आए थे। करीब दो तीन सौ साला तक पुराणी मंडी हे मंडी रियासत री राजधानी रैही। ब्यास दरयावा रे लेफ्ट बैंक रे कंडहे बसीरा मंडी शहर 1526 ई. बिच अजबर सेन राजे बसाया था। तेता ले बाद राजधानी पुराणी मंडी ले वारली मंडी जो आई गई थी। इहां ता मंडी रा नांव हे छोटी काशी हा पर पुराणी मंडी जो मंदरा रा महल्ला भी बोलया जाहां। पुराणी मंडी लगभग हर 50 मीटरा परा एक मंदिर देखणेओ मिली जाहां। त्रिलोकीनाथा रा प्राचीन मंदर पुरातत्व विभागे राष्ट्रीय धरोहर घोषित कीतीरा। त्रिलोकीनाथ मंदरा ले ब्यास दरयाओ होर सुकेती खाड्डा रे संगम पर बणीरे पंचवक्तर मंदरा रा खूबसूरत नजारा देखणेओ मिलहां। पंजवक्तरा रा मंदर भी पुरात्तव विभागा रे संरक्षणा बिच हा। पुराणी मंडी शीतला माता, चामुंडा माता होर जालपा माता रे मंदरा समेत होर बी कई बडे बांके मंदर हे। मंदरा ले अलावा पुराणी मंडी री बाईयां भी बडी प्राचीन ही। इन्हां बाईयां रा मीठा पाणी आपणे तरहा रा सुकून देहां। पुराणी मंडी बहुत सारी बाईयां होर नौण अझी बी ठीक हालता बिच मौजूद हे। अंग्रेज इतिहासकारे मंडी रे गजेटियरा बिच बोलिरा भई मंडी रे लोका रा जनजीवन पुराणे वकता बिच इन्हा बाईयां ले हे शुरू हुआं था। मंडी रे लोक त़डके उठी के बाईं पहुंचाएं थे होर खूब कसरता बगैरा करने बाद स्नान करूआं पाणी लेई के घरा जो हटाहें थे। आजकाले बी शादी त्योहारा बिच बाईँ री पूजा हुआंई। प्रशासना जो मंडी री बाईयां होर नौणा रा पाणी बेकार नी बहणे देणा चाहिए। बल्कि इन्हा ले बैंहदें पाणी स्टोर करूंआ सारे शहरा जो उपलब्ध करवाणे री प्लान बनाणी चाहिए। जेता के लोका जो घरा बैठिरे ही बाईं रा शुद्ध होर साफ पाणी मिली सके। अझी ये मेरी सैर रा पहला दौर हा इधी कठे हाउं ज्यादा लोका के मिली नी पाया जेताके मुंजो महल्ले रे बारे में ज्यादा जानकारी मिली सको। पर फिलहाल जिन्हुए-जिन्हुए हाउं आपणी सैर रे दौरान गुजरी कराहां। तेता रे बारे बिच मां तुसा जो मंडयाली बिच जानकारी देंदे रैहणा। सबसे बढिया गल्ल मुंजो ऐसा सैर रे अभियाना रे दौरान ये लगी कराहीं जे मुंजो बहुत सारे लोग मिली कराहें। जिन्हा जो मैं सैर ना करने ले शायद हे कधी देखी पाउंदा। धन्यावाद समीर कश्यप sameermandi@gmail.com
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