मंडी। चरस तस्करी के दो आरोपियों को अदालत ने दस-दस वर्ष की कठोर कारावास और एक-एक लाख रूपये जुर्माने की सजा का फैसला सुनाया है। आरोपियों के जुर्माना राशि निश्चित समय मेें अदा न करने पर उन्हे एक-एक साल के कठोर कारावास की सजा भुगतनी होगी। अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायधीश पदम सिंह ठाकुर की विशेष अदालत ने उतर प्रदेश के बागपत जिला के भगवानपुर (बदौट) निवासी फिरोज खान उर्फ अमजद खान पुत्र अखताल और बदौट तहसील के बिजरोल गांव निवासी साजिद पुत्र यामिन के खिलाफ मादक एवं नशीले पदार्थ अधिनियम की धारा 20 के तहत अभियोग साबित होने पर उन्हे उक्त कारावास और जुर्माने का फैसला सुनाया। अभियोजन पक्ष के अनुसार 19 जून 2012 को नारकोटिक कंट्रोल ब्युरो (एनसीबी) के अन्वेषण अधिकारी वीरेन्द्र सिंह को गुप्त सूचना मिली कि दो लोग चरस तस्करी में संलिप्त हैं और वे लोग बस से चरस ले जा रहे हैं और उनकी ढेलू मोड पर उतरने की संभावना है। सूचना के आधार पर एनसीबी के दल ने अधीक्षक कुलदीप शर्मा और वीरेन्द्र सिंह की अगुवाई में ढेलु चौक पर स्वतंत्र गवाहों के साथ नाकाबंदी की। इसी दौरान एनसीबी ने जब बस को तलाशी के लिए रोका तो इसमें बैठे आरोपियों के बैग से 4 किलो 700 ग्राम चरस बरामद की थी। एनसीबी ने आरोपियों को हिरासत में लेकर अदालत में अभियोग चलाया था। अभियोजन पक्ष की ओर से पैरवी करते हुए एनसीबी के विशेष लोक अभियोजक जी पी गुलेरिया ने 6 गवाहों के बयान कलमबंद करवा कर आरोपियों के खिलाफ अभियोग को साबित किया। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष की ओर से प्रस्तुत साक्ष्यों से आरोपियों के खिलाफ संदेह की छाया से दूर अभियोग साबित हुआ है। सजा की अवधि पर हुई सुनवाई के बाद अदालत का कहना था कि चरस तस्करी के मामलों से समाज का ताना बाना प्रभावित हो रहा है ऐसे में आरोपियों के प्रति नरम रूख नहीं अपनाया जा सकता। जिसके चलते अदालत ने आरोपियों से बरामदशुदा चरस की मात्रा को देखते हुए उक्त कारावास और जुर्माने की सजा का फैसला सुनाया।
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