हाल ही में संगीत सदन में वार्षिक परीक्षा आयोजित की गई। इस वर्ष मैं भी संगीत प्रभाकर के छठे वर्ष की परीक्षा में बैठा। संगीत सदन मंडी शहर के सबसे पुराने संस्थानों में से एक है जहां पर कई पीढियों ने शास्त्रीय संगीत की बारीकियां सीखी हैं। पहले इस संस्थान को पियुष स्वामी जी चलाते थे। लेकिन बाद में उन्होने संस्थान को चलाने का जिम्मा उमेश भारद्वाज को सौंप दिया था। उमेश के संगीत के प्रति समर्पण ने इस संस्थान को और अधिक लोकप्रिय कर दिया है। उमेश के पिता जी गुरू नारायण सिंह जी भी संगीत के मर्मज्ञ थे और उन्ही की संगीत विरासत को अब उमेश ने संभाला है। हम उमेश और संगीत सदन की दिन दुगुनी रात चौगुनी उन्नति की कामना करते हैं...
Sunday, 12 January 2014
संगीत सदन
हाल ही में संगीत सदन में वार्षिक परीक्षा आयोजित की गई। इस वर्ष मैं भी संगीत प्रभाकर के छठे वर्ष की परीक्षा में बैठा। संगीत सदन मंडी शहर के सबसे पुराने संस्थानों में से एक है जहां पर कई पीढियों ने शास्त्रीय संगीत की बारीकियां सीखी हैं। पहले इस संस्थान को पियुष स्वामी जी चलाते थे। लेकिन बाद में उन्होने संस्थान को चलाने का जिम्मा उमेश भारद्वाज को सौंप दिया था। उमेश के संगीत के प्रति समर्पण ने इस संस्थान को और अधिक लोकप्रिय कर दिया है। उमेश के पिता जी गुरू नारायण सिंह जी भी संगीत के मर्मज्ञ थे और उन्ही की संगीत विरासत को अब उमेश ने संभाला है। हम उमेश और संगीत सदन की दिन दुगुनी रात चौगुनी उन्नति की कामना करते हैं...
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