मंडी। चैक बाउंस के मामले में अदालत ने आरोपी की अपील को स्वीकारते हुए सजा और जुर्माने के फैसले को निरस्त करने का फैसला सुनाया है। अदालत ने आरोपी की जमा करवाई गई जुर्माना राशि को भी लौटाने के आदेश दिये हैं। अतिरिक्त सत्र न्यायधीश पदम सिंह ठाकुर के न्यायलय ने अपीलकर्ता पैलेस मुहल्ला स्थित महाजन मेडिकल एजेंसी के तरूण महाजन पुत्र मनोहर लास महाजन की अपील को स्वीकारते हुए निचली अदालत के सजा और जुर्माने के फैसले को निरस्त करने का फैसला सुनाया। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि शिकायतकर्ता यह साबित करने में असफल रहा है कि आरोपी ने यह चैक किसी कानूनन देनदारी के लिए दिया था। जबकि आरोपी की ओर से यह साबित किया गया है कि यह चैक बिना किसी कानूनी देनदारी के बतौर सिक्योरिटी दिया गया था। अधिवक्ता राजेश शर्मा और प्रेम सिंह राणा के माध्यम से अदालत में दायर अपील में आरोपी ने न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी कोर्ट नंबर दो के 27 अप्रैल 2012 के फैसले को चुनौती दी गई थी। निचली अदालत ने मंडी के वार्ड नंबर चार निवासी जितेन्द्र कुमार सोनी पुत्र श्याम लाल सोनी की शिकायत के फैसले में आरोपी के खिलाफ निगोशिएबल इंस्ट्रुमेंट अधिनियम की धारा 138 के तहत अभियोग साबित होने पर एक माह के साधारण कारावास और 2,70,000 रूपये जुर्माने की सजा सुनाई थी। आरोपी ने इस फैसले को अपील में चुनौती दी थी। अपील में आरोपी का कहना था कि उनकी शिकायतकर्ता के प्रति कोई देनदारी नहीं थी। अपीलकर्ता आरोपी के मुताबिक उनका शिकायतकर्ता के साथ अनुबंध हुआ था जिसमें शिकायतकर्ता संकन गार्डन में स्थित अपनी शॉप नंबर 110 दवाईयों की दुकान के लिए देने को सहमत हुआ था। आरोपी को दुकान की पगडी के लिए 2,70,000 रूपये देने थे। शिकायतकर्ता ने यह दुकान खाली करके आरोपी को सौंपनी थी जिसकी एवज में आरोपी ने उन्हे दो चैक बतौर सिक्योरिटी जारी किये थे। शिकायतकर्ता समझौते पर कायम नहीं रह सका ऐसे में आरोपी ने बैंक में पेमैंट स्टॉप करवा दी थी। जबकि शिकायतकर्ता का कहना था कि उसने यह राशि बतौर ऋण आरोपी को दी थी जिसके बदले यह चैक जारी किये थे। अदालत ने अपीलकर्ता आरोपी की अपील को स्वीकारते हुए निचली अदालत के सजा और जुर्माने के फैसले को निरस्त करने का आदेश दिया। जबकि आरोपी द्वारा अपील करते समय जमा करवाई गई राशि भी वापिस लौटाने के आदेश दिये हैं।
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