मंडी। जिला में मनरेगा के कार्यान्वय के लिए होने वाले प्रचार-प्रसार के फंड में भारी धांधली की आशंका है। इसका खुलासा सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी से हुआ है। ग्रामीण कामगार संगठन के अध्यक्ष व आरटीआई कार्यकर्ता संतराम ने मनरेगा के प्रचार-प्रसार में व्यय हुई राशि के बारे में उपायुक्त मंडी से सूचना मांगी थी। उपायुक्त ने जिला ग्रामीण विकास अभिकरण (डीआरडीए) को यह जानकारी मुहैया करने को कहा था। जिस पर डीआरडीए की ओर से उन्हे आधी-अधूरी सूचना मुहैया करवाई गई। ऐसे में संतराम ने आरटीआई की प्रथम अपील अतिरिक्त उपायुक्त के पास की थी। जिस पर उन्हे जब सूचना मुहैया करवाई गई तो इसमें चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं।
संतराम ने वर्ष 2011 से 2013 तक मनरेगा के कार्यान्वय और प्रचार-प्रसार के बारे में सूचना मांगी थी। जिसमें उन्हे बताया गया कि इस कार्य के लिए जिला स्तर पर 9841640 रूपये की राशि खर्च गई है। जबकि खंड स्तर पर 8827244 रूपये की राशि खर्च हुई है। इसके अलावा मंडी साक्षरता एवं जन विकास समिति ने 8143051 रूपये प्रचार-प्रसार पर खर्च किये हैं। वहीं पर हरडप्पा एनजीओ के माध्यम से 8,59050 रूपये की राशि खर्च हुई है। इनमें चौंकाने वाला तथ्य यह है कि जिला स्तर पर खर्च की गई राशि में से 8385545 रूपये कहां खर्च किये गए हैं इसके बारे में प्रशासन के पास कोई जानकारी नहीं है। हालांकि मनरेगा की रिर्पोट हर वर्ष केन्द्र सरकार को प्रेषित की जाती है। लेकिन इतनी भारी राशि के बारे में कोई ब्यौरा न होना एक बडे घोटाले की ओर संकेत करता है। इसके अलावा मंडी साक्षरता एवं जनविकास समिति की ओर से प्रचार प्रसार में खर्च किये गए 1413431 रूपये की राशि के खर्च का भी कोई ब्यौरा उपलब्ध नहीं है। जबकि एनजीओ हरडप्पा के माध्यम से राशि के खर्च किये जाने के बारे में भी कोई रिकार्ड नहीं है।
विकास खंडों को दी गई राशि में भी भारी बंदरबांट हुई है। जहां वर्ष 2011-12 में एक ओर सुंदरनगर खंड में 4442339, चौंतडा खंड में 3227850 रूपये की राशि खर्च की गई है। वहीं दूसरी ओर गोपालपूर खंड में इसी वित वर्ष में एक पाई भी खर्च नहीं हुई है। संतराम ने बताया कि हैरानी की बात है कि मनरेगा जैसी देश की महत्वाकांक्षी योजना में प्रचार-प्रसार के नाम पर इतने भारी स्तर पर वितिय अनियमितताएं और घोटाले हैं। इससे मनरेगा का लाभ आम लोगों तक नहीं पहुंच रहा है और बिना रिकार्ड के खर्च की गई राशि का दुरूपयोग किया गया है। उन्होने आरोप लगाया कि खर्च की राशि का ब्यौरा न होना मनरेगा फंड में हो रहे भारी घोटाले की ओर इंगित करता है। उन्होने कहा कि प्रशासन और उनके चहेते गैरसरकारी संगठनों को लाभ पहुंचाने के लिए लोगों के पैसे का दुरूपयोग किये जाने की आशंका है। उन्होने कहा कि इस वितिय अनियमितता और फर्जीवाडे की जांच की जानी चाहिए और इसमें संलिप्त दोषी अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज किये जाएं। इस बारे में संतराम ने प्रदेश ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग के सचिव को शिकायत भी प्रेषित की है। उन्होने कहा कि इन धांधलियों की जांच समयबध ढंग से न करवाई गई तो उन्हे विवश होकर न्यायलय का दरवाजा खटखटाना पडेगा।
No comments:
Post a Comment