Sunday 5 January 2014

जो सच सच बोलेंगे मारे जाएंगे। - राजेश जोशी की एक कविता


जो इस पागलपन में शामिल नहीं होंगे

मारे जाएंगे।

कठघरे मे खडे् कर दिए जाएंगे जो विरोध में बोलेंगे

जो सच सच बोलेंगे मारे जाएंगे।

बर्दाश्त नहीं किया जाएगा कि किसी की कमीज हो

उनकी कमीज से ज्यादा सफेद

कमीज पर जिनके दाग नहीं होंगे मारे जाएंगे।

धकेल दिए जाएंगे कला की दुनिया से बाहर

जो चारण नहीं होंगे

जो गुण नही गाएंगे मारे जाएंगे।

धर्म की ध्वजा उठाने जो नहीं जाएंगे जुलूस में

गोलियां भून डालेंगीं उन्हें काफिर करार दिए जाएंगे।

सबसे बडा् अपराध है इस समय में

निहत्थे और निरपराधी होना

जो अपराधी नही होंगे मारे जायेंगे

- राजेश जोशी मौजूदा दौर के महत्वपूर्ण कवि

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