मंडी। पुलिस को गिरफतारी से रोकने और डयुटी का निर्वहन न करने देने के आरोपी और उसकी मां को अदालत ने एक-एक साल के साधारण कारावास और एक-एक हजार रूपये जुर्माने की सजा का फैसला सुनाया। न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी कोर्ट नंबर एक रमणीक शर्मा के न्यायलय ने सदर उपमंडल के कीपड (मझवाड) निवासी विद्या देवी पत्नी सिधु राम और उसके बेटे राकेश कुमार को उक्त सजा सुनाई। न्यायलय ने आरोपियों पर भादंस की धारा 224, 225, 332 और 353 के तहत गिरफतारी रोकने, रोकने में सहायता करने, जानबुझ कर सरकारी कर्मी को डयुटी का निर्वहन करते समय आघात पहुंचाने और आपराधिक बल का प्रयोग करके कर्मी को डयुटी करने से रोकने का अभियोग साबित होने पर उन्हे क्रमश: एक-एक साल और 6-6 माह के साधारण कारावास और क्रमश: एक-एक हजार रूपये जुर्माने की सजा सुनाई। आरोपियों के जुर्माना राशि समय पर अदा न करने की सूरत में उन्हे 15-15 दिन की अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी होगी। ये सभी सजाएं एक साथ चलेंगी। अभियोजन पक्ष के अनुसार 15 अप्रैल 2007 को पुलिस का दल थाना प्रभारी राजेश कुमार की अगुवाई में एक मामले में वांछित आरोपी राकेश कुमार और उसके भाई की तलाश में कीपड गांव में उनके घर गया था। थाना प्रभारी ने राकेश कुमार को कहा कि उसकी गिरफतारी की जानी है। जिस पर राकेश कुमार गुस्सा हो गया और उसने वहां से भागने की कोशीश की और गिरफतारी से बचने के लिए पुलिस कर्मियों पर आपराधिक बल का प्रयोग किया। इसी बीच आरोपी की माता भी मौका पर आई और पुलिस को गालीगलौच करने लगी और आरोपी की गिरफतारी को रोकने के लिए बल प्रयोग किया। पुलिस ने आरोपियों को हिरासत में लेने के बाद अदालत में अभियोग चलाया था। अभियोजन पक्ष की ओर से पैरवी करते हुए सहायक लोक अभियोजक अजय ठाकुर ने 9 गवाहों के बयान कलम बंद करवा कर आरोपियों के खिलाफ अभियोग को साबित किया। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष की ओर से प्रस्तुत साक्ष्यों से आरोपियों के खिलाफ अभियोग साबित होता है। ऐसे में आरोपियों को उक्त कारावास और जुर्माने की सजा का फैसला सुनाया गया।
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