मंडी। सावन के महिने में आयोजित होने वाली श्रीखण्ड यात्रा का अपना ही महत्व है। कठिन यात्रा के बाद शिलाखण्ड के रूप में विराजमान भगवान शिव के दर्शन करने पर शिव भक्त अपने को धन्य समझते हैं। हाल ही में श्रीखण्ड महादेव की यात्रा से लौटे जिला एवं सत्र न्यायधीश में कार्यरत अधिवक्ता कमल सैणी, नीरज कपूर, प्रदीप परमार और राजकुमार सेन ने अपने यात्रा संस्मरणों को बांटते हुए बताया कि वह 13 जुलाई को मंडी से यात्रा के लिए रवाना हुए। मंडी से बाया औट, जलोडी जोत, आनी, लुहरी, रामपूर, निरमंड से होते हुई बागीपुल तक सडक मार्ग से यात्रा के बाद जाओं गांव से उन्होने अपनी पैदल यात्रा आरंभ की। प्रकृति के दुर्लभ नजारों के साथ वह करीब आधा घंटा की यात्रा के बाद सिंघाड पहुंचे। सिंघाड में यात्रा का पहला पडाव आता है। रात्रि विश्राम सिंघाड में करने के बाद अगले दिन सुबह यहां से डंडीधार की कठिन चढाई शुरू की। करीब सात- आठ किलोमीटर की सीधी चढाई के बाद वह थाचडु पहुंचे। थाचडु में रात्रि विश्राम के बाद अगले दिन सुबह डंडीधार टॉप की ओर बढना शुरू किया। करीब 9 बजे डंडीधार पहुंचने पर ऐसा लगने लगता है मानो बादलों से ऊपर पहुंच गये हों। डंडीधार में मोबाइल सिगनल बंद हो जाता है। डंडीधार से करीब 15 मिनट का रास्ता तय करने के बाद काली माता मंदिर पहुंचते हैं। यहीं से पहली बार श्रीखण्ड महादेव के दर्शन होते हैं। यहां से काली घाटी की करीब ढाई किलोमीटर लंबी उतराई वाला रास्ता शुरू होता है। उतराई उतरने पर भील तलाई की खूबसूरत घाटी पहुंचते हैं। यहां के सुंदर रमणीक झरने और दिलकश नजारे देखने योग्य हैं। यहां से यात्रा शुरू करने के बाद करीब 15 मीटर लंबा ग्लेशियर पार करके भीम डवार पहुंचते हैं। रात्रि विश्राम भीम डवार में करने के बाद अगले दिन सुबह आगे की यात्रा होती है। यहीं से नैन सरोवर की चढाई शुरू होती है। इस रास्ते में पार्वती बाग की खूबसूरत फूलों और जडी बूटियों से भरी हसीन वादी में प्रकृति के खूबसूरत नजारे सामने आते हैं। पार्वती बाग में टैंट में रात बिताने के बाद अगले दिन सुबह तडके नैण सरोवर की यात्रा आरंभ होती है। करीब दो घंटे की कठिन यात्रा के बाद नैन सरोवर पहुंचते हैं जहां पर पूजा अर्चना के बाद श्रीखण्ड महादेव की अंतिम चढाई शुरू होती है। रासते में करीब आधा दर्जन ग्लेशियर पार करने के बाद करीब दो घंटों में श्रीखण्ड कैलाश की चोटी पर पहुंचते हैं। यहां पहुंचने पर सारी थकान खत्म हो जाती है लेकिन आक्सीजन की कमी होने के कारण यहां जयादा देर तक नहीं रूका जा सकता। अधिवक्ता नीरज कपूर तीसरी बार श्रीखण्ड महादेव की यात्रा पर गए जबकि अन्य अधिवक्ताओं की यह पहली यात्रा थी। उन्होने बताया कि आस्था, रोमांच, और उल्लास से भरपूर इस कठिन यात्रा में शिव भकतों का उत्साह देखते ही बनता है। इस दुर्गम यात्रा में आपात स्थिति के लिए उचित प्रबंध नहीं होने की पुष्टि करते हुए उन्होने कहा कि यात्रा के दौरान सभी पडावों पर आपात स्थिती के हालातों से निपटने के लिए उचित प्रबंध किये जाने चाहिए।
No comments:
Post a Comment