Monday, 25 April 2011

25 सालों से नहीं मिला मुआवजा


मंडी। सरकारी विभागों की कार्यप्रणाली की रफतार का यह आलम है कि एक व्यकित को करीब 25 सालों से अपनी संपती के मुआवजा मिल नहीं पाया है। लंबे अरसे तक इंतजार के बाद जब उकत वयकित ने सूचना के अधिकार के तहत इस मामले की सूचना मांगी तो बताया गया कि संबंधित विभाग ने करीब 15 साल पहले कुछ अन्य विभागों से इस मामले पर रपट मांगी थी। लेकिन विभागों से रपट न मिल पाने के कारण मुआवजा नहीं दिया जा सका है। यहां के साथ लगते गांव छनवारी(टिल्ली) में भू-अर्जन विभाग ने साल 1983-84 में दौलत राम की खसरा नंबर 8 में 0-8-19 बीघा जमीन का अधिग्रहण किया था। अधिग्रहण की गई जमीन में दौलत राम का मकान और फलदार तथा गैर फलदार पौधे भी लगे हुए थे। इस जमीन से मकान और पौधे हटाकर लोक निर्माण विभाग ने सडक बनाई थी । अधिग्रहण के बाद इस भूमि का इंतकाल भी लोनिवि के नाम पर दर्ज और तसदीक हो चुका है। । भू-अर्जन विभाग ने भूमि की कीमत का मूल्यांकन करके इसकी राशी तो भूमि मालिक को जारी कर दी। लेकिन इस भूमि पर सिथत दौलत राम के मकान और फलदार व गैर फलदार पौधों मुआवजा आज तक अदा नहीं किया गया है। अनेकों बार विभागों के चककर लगाने और पत्राचार करने के बावजूद भी मुआवजा जारी नहीं करने पर दौलत राम ने इस मामले के बारे में सूचना के अधिकार के तहत सूचना मांगी। भू-अर्जन विभाग ने सूचना जारी करते हुए माना है कि दौलत राम की उनकी अधिग्रहित जमीन पर मकान और पौधे मौजुद थे। विभाग ने माना है कि साल 1995 में लोनिवि के अधिशाषी अभियंता मंडी-2, जिला उदयान अधिकारी और वनमंडलाधिकारी से मकान और पौधों केमूल्यांकन की रिपोर्ट मांगी थी। लेकिन इन विभागों की रिपोर्ट अभी तक नहीं मिल पाने के कारण मुआवजा जारी नहीं किया जा सका है। इधर दौलत राम ने बताया कि इतनी सालों की जदोजहद के बाद भी उन्होने अपने हकों के लिए लडना नहीं छोडा है। उन्होने बताया कि विभागिय कार्यप्रणाली के ढिलमुल रवैये को देखते हुए उन्होने अब अदालत का दरवाजा खटखटाने का मन बनाया है। इधर जब इस बारे में लोनिवि के भू-अर्जन विभाग से संपर्क किया गया तो सूचना जारी करने की बात मानते हुए बताया कि विभागों को फिर से पत्र लिख कर रिर्पोट मांगी गई है।

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