Thursday, 28 April 2011

धोखाधडी के मामले में महिला प्रधान को अदालत उठने तक की सजा


मंडी। धोखाधडी और जालसाजी करके जाली प्रमाण पत्र बनाने का अभियोग साबित होने पर अदालत ने एक महिला प्रधान को अदालत उठने तक की कारावास की सजा का फैसला सुनाया है। आरोपी प्रधान के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 468 और 471 के तहत दोष साबित होने पर उसे क्रमश: तीन-2 हजार रूपये जुर्माना भी अदा करना होगा। अतिरिकत मुखय न्यायिक दंडाधिकारी सरकघाट किशन कुमार राघव के न्यायलय ने ग्राम पंचायत चोलथरा की प्रधान विजय लक्ष्मी पत्नी प्रदीप कुमार के खिलाफ उकत धाराओं के तहत अभियोग साबित होने पर यह फैसला सुनाया। जुर्माना राशी निश्चित समय में अदा न करने पर आरोपी को उकत धाराओं में एक-2 माह के अतिरिकत साधारण कारावास की सजा भुगतनी होगी। अभियोजन पक्ष के अनुसार आरोपी ने साल 2001 में ग्राम पंचायत की प्रधान रहते हुए शिक्षा विभाग में नौकरी हासिल करने के लिए अपना आई आर डी पी का जाली प्रमाण पत्र बनाया था। इस जाली प्रमाण पत्र को उन्होने सरकाघाट के रोजगार कार्यालय में जमा कराकर नौकरी के लिए आवेदन किया था। इस प्रमाण पत्र को रोजगार कार्यालय से शिक्षा निदेशक शिमला को प्रेषित किया गया था। जबकि असलियत में आरोपी प्रधान आई आर डी पी के प्रमाण-पत्र के लिए अयोग्य थी कयोंकि आरोपी प्रधान का पति उस समय टिहरा पाठशाला में टी जी टी के पद पर तैनात थे। सरकाघाट थाना पुलिस ने सुरेश कुमार की शिकायत पर मामला दर्ज करके आरोपी प्रधान के खिलाफ अदालत में अभियोग चलाया था। अभियोजन पक्ष की ओर से पैरवी करते हुए सहायक लोक अभियोजक विनोद भारदवाज ने 18 गवाहों के बयान दर्ज करा कर मामले को साबित किया। अदालत ने आरोपी के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य होने के कारण उसे दोषी करार देते हुए उकत सजा का फैसला सुनाया।


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