मंडी। गदर पार्टी के नेताओं के खिलाफ (मंडी कांसप्रेसी केस) के साक्षी रहे एमरसन हाऊस को धरोहर भवन घोषित किये जाने की उममीद बंधी है। भाषा एवं संसकृति विभाग ने इसके असतित्व को बचाने के लिए इसे संरक्षित करने की संसतुति की है। भाषा एवं संसकृति विभाग के निदेशक ने प्रदेश सरकार के प्रधान सचिव( भाषा एवं संसकृति) को इस बारे में एक रिर्पोट तैयार करके प्रेषित की है। रिर्पोट की एक प्रति इस मामले को उठाने वाले आर टी आई बयुरो के संयोजक लवण ठाकुर को भी प्रेषित की गई है। लवण ठाकुर ने इस ऐतिहासिक भवन को तोडने से रोकने और इसे धरोहर घोषित करने के लिए प्रदेश मुखय मंत्री सहित संबंधित अधिकारियों को प्रेषित ज्ञापन प्रेषित किया था। इस ज्ञापन पर विभाग को निदेशक की ओर से कार्यवाही अमल में लाई गई। विभाग की ओर से राज्य संग्रहालय शिमला के संग्रहालयाध्यक्ष एवं पंजीकरण अधिकारी ने इस भवन का निरिक्षण किया। उकत अधिकारी दवारा सौंपी गई रिर्पोट के अनुसार एमरसन भवन चौहटा बाजार में निर्मित एक ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक महत्व का भवन है। इसका निर्माण हिमाचल(पहाडी) शैली में पत्थर और लकडी से किया गया है। यह भवन अच्छी सथिति में है। रिर्पोट में कहा गया है कि निर्माण शैली और वासतुकला के महत्व से इसे धरोहर भवन घोषित किया जाए। भवन में रिपेयर आदि करके इसे संरक्षित किया जाए। इसके अलावा रिर्पोट में यह भी साफ तौर पर माना गया है कि मंडी शहर में इस वासतुकला का और कोई भवन नहीं है इसके सथान पर नवनिर्माण करके मंडी शहर की सथापत्य कला और ऐतिहासिकता का युग खत्म हो जाएगा। उल्लेखनीय है कि इतिहास के साक्षी रहे एमरसन हाऊस का निर्माण 1915 में यहां के तात्कालीन अधीक्षक एमरसन ने करवाया था। यह भवन उस समय से ही अदालत के रूप में प्रयोग होता है। लेकिन समय के बदलाव के साथ अदालत परिसर की बढ रही जरूरतों को देखते हुए इसके पूर्वी हिससे को तोडकर एक पांच मंजिला अदालत का भवन बना दिया है। लेकिन इतना ही नहीं अब इस भवन के बाकि हिससे को तोडकर यहां पर न्यायिक परिसर और बहुमंजिला पार्किंग के निर्माण की योजना को कार्यान्वित करवाया जा रहा था। लोक निर्माण विभाग के अनुसार प्रदेश मुखय न्यायधीश ने गत वर्ष दिसंबर माह में इस भवन में नया न्यायिक भवन बनाने का प्रसताव दिया था। वहीं पर उपायुकत कार्यालय से भी इस भवन को तोडकर बहुमंजिला पार्किंग का प्राकलन तैयार करने के निर्देश दिये थे। इसी बीच शहर की धरोहर खो जाने की टीस से आहत मंडी के सांसकृतिक कर्मी आरटीआई बयुरो के संयोजक लवण ठाकुर ने प्रदेश मुखयमंत्री सहित अन्य विभागों के अधिकारियों को ज्ञापन प्रेषित कर भवन को तोडने से रोकने और इसे संरक्षित करने की मांग की थी। जिस पर अब संबंधित विभाग ने अपनी रिर्पोट प्रदेश सरकार को प्रेषित करके अपनी मुहर लगा दी है। लवण ठाकुर को इस रिर्पोट की प्रति से विभाग की भवन को संरक्षित करने और इसे धरोहर घोषित करने की संसतुति के बारे में पुषटि हुई है।
Monday, 6 June 2011
एमरसन हाऊस को धरोहर घोषित करने की उम्मीद बंधी
मंडी। गदर पार्टी के नेताओं के खिलाफ (मंडी कांसप्रेसी केस) के साक्षी रहे एमरसन हाऊस को धरोहर भवन घोषित किये जाने की उममीद बंधी है। भाषा एवं संसकृति विभाग ने इसके असतित्व को बचाने के लिए इसे संरक्षित करने की संसतुति की है। भाषा एवं संसकृति विभाग के निदेशक ने प्रदेश सरकार के प्रधान सचिव( भाषा एवं संसकृति) को इस बारे में एक रिर्पोट तैयार करके प्रेषित की है। रिर्पोट की एक प्रति इस मामले को उठाने वाले आर टी आई बयुरो के संयोजक लवण ठाकुर को भी प्रेषित की गई है। लवण ठाकुर ने इस ऐतिहासिक भवन को तोडने से रोकने और इसे धरोहर घोषित करने के लिए प्रदेश मुखय मंत्री सहित संबंधित अधिकारियों को प्रेषित ज्ञापन प्रेषित किया था। इस ज्ञापन पर विभाग को निदेशक की ओर से कार्यवाही अमल में लाई गई। विभाग की ओर से राज्य संग्रहालय शिमला के संग्रहालयाध्यक्ष एवं पंजीकरण अधिकारी ने इस भवन का निरिक्षण किया। उकत अधिकारी दवारा सौंपी गई रिर्पोट के अनुसार एमरसन भवन चौहटा बाजार में निर्मित एक ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक महत्व का भवन है। इसका निर्माण हिमाचल(पहाडी) शैली में पत्थर और लकडी से किया गया है। यह भवन अच्छी सथिति में है। रिर्पोट में कहा गया है कि निर्माण शैली और वासतुकला के महत्व से इसे धरोहर भवन घोषित किया जाए। भवन में रिपेयर आदि करके इसे संरक्षित किया जाए। इसके अलावा रिर्पोट में यह भी साफ तौर पर माना गया है कि मंडी शहर में इस वासतुकला का और कोई भवन नहीं है इसके सथान पर नवनिर्माण करके मंडी शहर की सथापत्य कला और ऐतिहासिकता का युग खत्म हो जाएगा। उल्लेखनीय है कि इतिहास के साक्षी रहे एमरसन हाऊस का निर्माण 1915 में यहां के तात्कालीन अधीक्षक एमरसन ने करवाया था। यह भवन उस समय से ही अदालत के रूप में प्रयोग होता है। लेकिन समय के बदलाव के साथ अदालत परिसर की बढ रही जरूरतों को देखते हुए इसके पूर्वी हिससे को तोडकर एक पांच मंजिला अदालत का भवन बना दिया है। लेकिन इतना ही नहीं अब इस भवन के बाकि हिससे को तोडकर यहां पर न्यायिक परिसर और बहुमंजिला पार्किंग के निर्माण की योजना को कार्यान्वित करवाया जा रहा था। लोक निर्माण विभाग के अनुसार प्रदेश मुखय न्यायधीश ने गत वर्ष दिसंबर माह में इस भवन में नया न्यायिक भवन बनाने का प्रसताव दिया था। वहीं पर उपायुकत कार्यालय से भी इस भवन को तोडकर बहुमंजिला पार्किंग का प्राकलन तैयार करने के निर्देश दिये थे। इसी बीच शहर की धरोहर खो जाने की टीस से आहत मंडी के सांसकृतिक कर्मी आरटीआई बयुरो के संयोजक लवण ठाकुर ने प्रदेश मुखयमंत्री सहित अन्य विभागों के अधिकारियों को ज्ञापन प्रेषित कर भवन को तोडने से रोकने और इसे संरक्षित करने की मांग की थी। जिस पर अब संबंधित विभाग ने अपनी रिर्पोट प्रदेश सरकार को प्रेषित करके अपनी मुहर लगा दी है। लवण ठाकुर को इस रिर्पोट की प्रति से विभाग की भवन को संरक्षित करने और इसे धरोहर घोषित करने की संसतुति के बारे में पुषटि हुई है।
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