Thursday, 30 June 2011

भ्रष्टाचार के आधा दर्जन आरोपी बरी


मंडी। भ्रषटाचार के तीन बहुचर्चित मामलों के आधा दर्जन आरोपियों को अदालत ने बरी कर दिया है। अदालत ने आरोपियों पर संदेह की छाया से दूर अभियोग साबित न होने पर उन्हे बरी करने के फैसले सुनाए ह। अतिरिकत जिला एवं सत्र न्यायधीश राकेश कैंथला की विशेष अदालत ने बहुचर्चित सरिया घोटाले के मामले में आरोपी बेरी (पधर) निवासी उतम सिंह चौहान,अरविंद चौहान, मनोहर लाल और गुरमीत सिंह के खिलाफ भ्रषटाचार निरोधक अधिनियम की धारा 13 के तहत अभियोग साबित न होने पर उन्हे बरी कर दिया। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपियों पर यह साबित करने में नाकाम रहा कि उन्होने अपनी सरकारी डयुटी के निर्वाह के दौरान करीब 30 मिट्रिक टन सरिया घूस के रूप में लिया था। इसके अलावा आरोपियों के किसी षडयंत्र में शामिल रहने और जाली दस्तावेज बनाने संबंधी आरोप भी साबित नहीं हो सके। वहीं एक दूसरे चर्चित मामले में आरटीओ कार्यालय में घूस लेने की आरोपी महिला कर्मी फूलां कुमारी निवासी सेरी (जोगिन्द्रनगर) के खिलाफ अभियोग साबित न होने पर उसे बरी कर दिया। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष ऐसे कोई सबूत अदालत में पेश नहीं कर सका जिससे जाहिर होता हो कि महिला कर्मी ने 3000 रूपये की घूस की मांग की हो और उसने इस राशी को प्राप्त किया हो। इधर, एक अन्य मामले में अदालत ने सरकाघाट तहसील के हारलयान गांव निवासी आई पी एच विभाग के फीटर देविन्द्र कुमार के खिलाफ भी भ्रषटाचार निरोधक अधिनियम का अभियोग साबित न होने पर उसे बरी कर दिया। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष यह साबित नहीं कर सका कि आरोपी ने अपनी नौकरी का फायदा उठाकर विभाग की पाईपों का दुरूपयोग किया था। इन मामलों में बचाव पक्ष की ओर से आरोपियों की पैरवी अधिवकता जी पी गुलेरिया, एम पी सैहगल, अमर सिंह ठाकुर और आकाश शर्मा ने की।

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