मंडी। सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए नाबालिग का अवैध रूप से परिवार रजिसटर से अलग खाता बना दिया गया। यह मामला बल्ह क्षेत्र के खांदला गांव के श्याम लाल पुत्र हरी सिंह का है। इस गडबडी का पता चलने पर जिला परियोजना अधिकारी ने खंड विकास अधिकारी को एक पत्र प्रेषित किया था। जिसमें बताया गया था कि नाबालिग का खाता परिवार रजिसटर से गैर कानूनी ढंग से अलग किया गया है । जबकि उकत वयकति खाता अलग करते समय नाबालिग था। श्याम लाल ने परियोजना अधिकारी के पत्र को प्रदेश उच्च न्यायलय में याचिका दायर करके चुनौती दी थी। उच्च न्यायलय के न्यायधीश संजय करोल के न्यायलय ने याचिका के फैसले में कहा कि मामले के तथ्यों के अनुसार उपायुकत ने कानूनगो, पटवारी और पंचायत प्रधान के माध्यम से इस बारे में जांच करवाई थी। इस जांच में यह सामने आया था कि जब श्याम लाल का खाता अलग किया गया था तो उस समय वह नाबालिग था। यही नहीं श्याम लाल ने पंचायत प्रधान के समक्ष बयान देकर यह माना है कि उसका परिवार रजिसटर का खाता 1989 में अलग हो गया था। उच्च न्यायलय ने अपने फैसले म्में कहा कि परिवार का खाता अलग होने के कारण वह आईआरडीपी और अन्य कई सरकारी लाभ ले रहा था। न्यायलय ने अपने फैसले में कहा कि याचिकाकर्ता ने महत्वपूर्ण तथ्यों को छिपाया है। ऐसे में न्यायलय ने श्याम लाल की याचिका को खारिज कर दिया।
Saturday, 11 June 2011
परिवार रजिस्टर से नाबालिग का खाता अलग
मंडी। सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए नाबालिग का अवैध रूप से परिवार रजिसटर से अलग खाता बना दिया गया। यह मामला बल्ह क्षेत्र के खांदला गांव के श्याम लाल पुत्र हरी सिंह का है। इस गडबडी का पता चलने पर जिला परियोजना अधिकारी ने खंड विकास अधिकारी को एक पत्र प्रेषित किया था। जिसमें बताया गया था कि नाबालिग का खाता परिवार रजिसटर से गैर कानूनी ढंग से अलग किया गया है । जबकि उकत वयकति खाता अलग करते समय नाबालिग था। श्याम लाल ने परियोजना अधिकारी के पत्र को प्रदेश उच्च न्यायलय में याचिका दायर करके चुनौती दी थी। उच्च न्यायलय के न्यायधीश संजय करोल के न्यायलय ने याचिका के फैसले में कहा कि मामले के तथ्यों के अनुसार उपायुकत ने कानूनगो, पटवारी और पंचायत प्रधान के माध्यम से इस बारे में जांच करवाई थी। इस जांच में यह सामने आया था कि जब श्याम लाल का खाता अलग किया गया था तो उस समय वह नाबालिग था। यही नहीं श्याम लाल ने पंचायत प्रधान के समक्ष बयान देकर यह माना है कि उसका परिवार रजिसटर का खाता 1989 में अलग हो गया था। उच्च न्यायलय ने अपने फैसले म्में कहा कि परिवार का खाता अलग होने के कारण वह आईआरडीपी और अन्य कई सरकारी लाभ ले रहा था। न्यायलय ने अपने फैसले में कहा कि याचिकाकर्ता ने महत्वपूर्ण तथ्यों को छिपाया है। ऐसे में न्यायलय ने श्याम लाल की याचिका को खारिज कर दिया।
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